26 अक्टूबर को छठ पूजा मनाई जाएगी। छठ मनाने के लिए कई लोग मुंबई सहती कई अन्य इलाको से अपने अपने गांव जाते है। बिहार में छठ एक बहुत ही बड़ा पर्व माना जाता है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।
कैसे मनाते है छठ
यह पर्व चार दिनों का है। भैयादूज के तीसरे दिन से यह आरम्भ होता है। पहले दिन सेन्धा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दू की सब्जी प्रसाद के रूप में ली जाती है। अगले दिन से उपवास आरम्भ होता है। व्रति दिनभर अन्न-जल त्याग कर शाम करीब ७ बजे से खीर बनाकर, पूजा करने के उपरान्त प्रसाद ग्रहण करते हैं, जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं। अंतिम दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं। पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है; लहसून, प्याज वर्जित होता है। जिन घरों में यह पूजा होती है, वहाँ भक्तिगीत गाये जाते हैं।अंत में लोगो को पूजा का प्रसाद दिया जाता हैं।
क्यों मनाया जाता है छठ
छठ मनाने को लेकर कई तरह की मान्यताएं है रामायण के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।
तो वही महाभारत के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्यदेव की पूजा शुरू की। कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वह प्रतिदिन घण्टों कमर तक पानी में ख़ड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे। सूर्यदेव की कृपा से ही वे महान योद्धा बने थे। आज भी छठ में अर्घ्य दान की यही पद्धति प्रचलित है।
रेलवे ने की अतिरिक्त ट्रेनो की व्यवस्था
छठ पूजा के दौरान काफी उत्तर भारतीय समुदाय के लोग गांवो में अपने अपने गांव जाते है। जिसे देखते हुए रेलवे ने भी यात्रियों की सुविधा के लिए 6 विशेष ट्रेने चलाई है।
1) 01115-16 एलटीटी-गोरखपुर( 14 अक्टूबर से 4 नवम्बर के बीच)
2) 01087-88 एलटीटी-मंडुवाडीह ( 11 अक्टूबर से 1 नवम्बर के बीच)
3) 01453-54 पुणे गोरखपुर ( 15 अक्टूबर से 5 नवम्बर के बीच चलेगी)
4) 01403-04 पुणे-मंडुवाडीह ( 12 अक्टूबर से 2 नवम्बर के बीच चलेगी)