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चैत्र नवरात्र के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा


चैत्र नवरात्र के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा
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मुंबई - नवरात्र में चौथे दिन मां कुष्मांडा की की जाती है। माना जाता है की जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत्‌ हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदि  स्वरूपा या आदि शक्ति कहा गया है।

देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हे  अष्टभुजा भी कहते है। सात हाथों में  कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा होता है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है।

अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करने से भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा  आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है।



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