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बजट और बीएमसी के कारण इस बार गणपति पंडालों की संख्या में भारी गिरावट


बजट और बीएमसी के कारण इस बार गणपति पंडालों की संख्या में भारी गिरावट
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हो सकता है कि हर साल की तरह इस बार मुंबई में आपको गणपति के पंडाल कम ही नजर आएं? ऐसा इसीलिए क्योंकि इस बार पंडाल लगाने के लिए गणपति मंडल की ओर से सिर्फ 1,860 आवेदन ही मिले हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2,538 था। यही नहीं बीएमसी ने 1,860 आवेदनों में से कुल 553 आवेदन ही स्वीकार किए हैं। यानी आंकड़ों की माने तो इस बार पंडालों की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई है।

सूत्र के मुताबिक, गणेश मंडल आयोजकों द्वारा पंडाल लगाने को लेकर आवेदनों में आई कमी के दो कारण बताए हैं। पहला, मुंबई में पुनर्विकास के काम के चलते कई लोग अन्य स्थानों पर पलायन कर रहे हैं। और दूसरा, बीएमसी ने पंडालों को लेकर बेहद ही कठोर अनुमति प्रक्रिया बनाई है। यही नहीं उन्‍होंने यह भी कहा कि इन कारणों से मुंबई के कई इलाकों में हाउसिंग सोसाइटी के भीतर ही गणेश चतुर्थी का जश्‍न मनाया जाने लगा है।

बीएमसी के एक सहायक आयुक्त ने बताया कि अगर पंडाल की तरफ से सभी मानदंडो का पालन किया जाता है तो हमे अनुमति देनी ही पड़ती है। ऐसा नहीं है कि हम सभी को मना कर देते हैं।

पंडालों को लगाने के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन की भी अनुमति लेनी पड़ती है, इस बारे में मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलो के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन से एनओसी लेना अनिवार्य है। अगर पुलिस उन्हें किसी भी आधार पर अस्वीकार कर देती है तो यह बीएमसी पर निर्भर करता है कि वह अनुमति देती है या नहीं।

यही नहीं इसके पीछे एक कारण मंदी को भी बताया जा रहा है, क्योंकि अक्सर इन मंडलों का आर्थिक कार्यभार स्थानीय बिल्डर ही वहन करते हैं, लेकिन मार्किट में चल रहे मंदी से इस बार उनकी तरफ से भी योगदान कम आ रहा है। इसीलिए तमाम मंडल की तरफ से आवेदन ही नहीं गए।

वैसे तो गणेश चतुर्थी के मौके पर पूरा शहर पंडालों से जगमगाने लगता है और गणपति बप्‍पा मोरिया से गूंज उठता है। लेकिन तमाम परिस्थितियों को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि शायद इस बार मामला थोड़ा फीका नजर आएं।


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