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11 हजार करोड़ से भी ज्यादा किमती होता है 1 किलो 'चावल’!

केरल में हालही में एक ऐसी घटना सामने आई है ,जिसने साक्षरता में नंबर वन राज्य के समाज की अलग ही तस्वीर पैदा की है।

11 हजार करोड़ से भी ज्यादा किमती होता है 1 किलो 'चावल’!
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जीं हां साहब, 11 हजार करोड़ से भी ज्यादा किमती होता है 1 किलों चावल!  शायद आप ये सुनकर हैरान हो गये होंगे लेकिन यह सही है। हालही में नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोक्सी ने देश के दुसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक को 11 हजार करोड़ का चूना लगाकर देश छोड़कर चले गये। इतना ही नही, नीरव मोदी बकायदा पीएनबी को खत लिखते है की मीडिया में खबर अाने के बाद अब वह बैंक के पैसे नहीं लौटाएंगे, बावजूद इसके नीरव मोदी आज भी देश से बाहर और ऐसो -आराम की जिंदगी जी रहा है। क्या कांग्रेस , क्या बीजेपी , दोनों ही पार्टियों के नेताओं से नीरव मोदी की अच्छी दोस्ती रही है।  शायद यही वजह है की कभी वो प्रधानमंत्री के साथ फोटो खिंचाते है तो कभी राहुल गांधी उनके पार्टियों में जाते है, लेकिन क्या 11 हजार करोड़ का घपला करनेवाले नीरव मोदी और मेहुल चोक्सी को कुछ हुआ, नहीं, हां लेकिन एक किलों चावल चोरी करने के आरोप में एक मानसिक तौर पर अस्वस्थ शख्स की जान ले ली जाती है और वो जब उसकी मां बार-  बार बोल रही हो की उसका बेटा चोर नहीं है सिर्फ मानसिक तौर पर अस्वस्थ है। 


साक्षरता में नंबर वन राज्य कहनेवाले केरल की घटना

केरल में हालही में एक ऐसी घटना सामने आई है ,जिसने साक्षरता में नंबर वन राज्य  के समाज की अलग ही तस्वीर पैदा की है, हालांकी कुछ लोगों के पाप के कारण सबको जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता , लेकिन ये मामला तब और भी संवेदहीन बन जाता है जब कुछ लोग किसी मानसिक तौर पर अस्वस्थ शख्स को बांधकर सड़क पर घूमा रहे हो और सड़क के किनारे खड़े लोग बस तमाशा देख रहे हो। केरल में मानसिक तौर पर अस्वस्थ शख्स को भीड़ ने पिट पिटकर सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकी उसपर एक किलो चावल चोरी करने का आरोप था। 

 

चोरी गलत है, फिर चाहे वो चावल की हो या फिर पैसे की,  लेकिन इस देश में जहां कानून कहता है की भले ही 100 गुनहगार छुट जाये लेकिन किसी एक बेगुनाह को सज़ा नहीं होनी चाहिए, उसी देश में एक मानसिक तौर पर अस्वस्थ शख्स को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के एक भीड़ ने सिर्फ आरोप लगने पर जान से मार दिया। तो वही दूसरी ओर जहां हजारो करोडो़ का घोटाला हो रहा है वो कानून का ठेंगा दिखाकर देश से बाहर भाग जाते है और यही भीड़ टीवी देखकर सिर्फ गली के किसी कोने में चाय पीते हुए सरकार और प्रशासन को दोष देता रहता है। लेकिन जब बात किसी गरीब की हो या अपने से कमजोर की तो यह भीड़ उसकी जान लेने से भी पिछे नहीं हटता। 


सहीं है साहब, एक गरीब बेचारा करे भी क्या , उसके पास तो इतने पैसे भी नहीं होते की वो अपना गांव भी छोड़ सके, देश छोड़ने की बात वो सपने में भी नहीं सोच सकता। क्या करे, उसे क्या पता की जिस देश में वो रहता है वहां पैसे का घोटाला कर आप अपने आप को तो बचा सकते हो लेकिन अगर आप गरीब हो तो कानून के खर्चे तो छोड़िये , ये भीड़ भी आपकी नहीं सुनेगी।

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