बाई जेरबाई वाडिया हॉस्पिटल फॉर चिल्ड्रन (बीजेडब्ल्यूएचसी), परेल के डॉक्टरों ने 8 वर्षीय लड़के की सर्जरी कर उसे फिर से एक नया जीवनदान दिया। तल्हा उमर शेख का बायां हाथ सांप के काटने के कारण गंभीर रूप से विकृत और क्षतिग्रस्त हो गया था। मुलरुप से नांदेड़ के रहनेवाले तल्हा उमर शेख को स्थानिय डॉक्टरों ने मुंबई के वाडिया अस्पडाल भेजा था।
कैसे हुआ था हादसा
नांदेड़ निवासी 8 वर्षीय लड़का, तल्हा, अलमारी के पीछे रखे अपने खिलौनों से खेलना चाहता था। वह अपनी अलमारी के पीछे छिपे बड़े सांप से अनजान था। जैसे ही उसने अपने खिलौने को पाने के लिए अलमारी के पीछे अपना हाथ बढ़ाया, सांप ने उसे काट लिया। तुरंत ही उसे स्थानीय डॉक्टर के पास ले जाया गया, जिसने उसे एंटी-स्नेक वेनम इंजेक्शन लगाया। हालांकी सेल्युलाइटिस के कारण उसके बाएं हाथ में सूजन हो गयी थी और एक फैलने वाला संक्रमण विकसित हो गया था।
हाथ काटने की दी थी सलाह
स्थानीय डॉक्टरों ने तल्हा उमर शेख के माता पिता को सुझाव दिया कि हाथ को काटना ही इसका एकमात्र इलाज है। जिसके बाद उसके मात पिता ने तल्हा को मुंबई के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। हाथ को तो बचा लिया गया, लेकिन घाव भरने में देरी हो चुकी थी। घाव में देरी होने के कारण उसके बाएं हाथ और कलाई में गंभीर जकड़न और विकृति विकसित हो चुकी थी।
घाव बहुत ही गंभीर
बच्चे का इलाज करनेवाले डॉक्टर और बीजेडब्ल्यूएचसी में हैण्ड एण्ड रीकन्स्ट्रक्क्टिव माइक्रोसर्जन डॉ. नीलेश सतभाई का कहना है की "जब रोगी को मेरे पास लाया गया, तब वह अपने विकृत बाएं हाथ से कोई भी उपयोगी गतिविधि कर पाने में असमर्थ था। घाव बहुत ही गंभीर और बड़ा था,जिसके कारण सर्जरी करने में काफी दिक्कते आई, बायीं जांघ से त्वचा और नरम ऊतकों युक्त एक हिस्से (फ्लैप) को वहां से काटा गया। माइक्रोवस्कुलर तकनीक द्वारा उस हिस्से की रक्त वाहिकाओं को कलाई में स्थित रक्त वाहिकाओं के साथ जोड़ा गया।
वाडिया अस्पताल की सीईओ डॉ. मिनी बोधनवाला का कहना है की ऐसी प्रक्रियाओं में माइक्रोवस्कुलर कौशल, गहन देखभाल बैक-अप और लॉजिस्टिक आवश्यकताओं की उपलब्धता मुख्य चुनौतियां हैं। बीजेडब्ल्यूएचसी बहुत कम लागत पर ऐसी जटिल सर्जरी के लिए इन सभी माइक्रोवस्कुलर उपकरणों और आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिे उपलब्ध है।
तल्हा के पिता मेहताब शेख का कहना है की जब हम उसे यहां लाए तो उसका बायां हाथ पूरी तरह से विकृत हो चुका था, वह किसी भी वस्तु को पकड़ या मुट्ठी नहीं बना सकता था। लेकिन अब घाव ठीक हो गए हैं और फिजियोथेरेपी के बाद हाथ की गतिविधियां शुरू हो गई हैं।"