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अरे,वाह!...कोरोना खत्म हो गया?

मेयर ने कहा, कुछ लोग अपने गले में सोने की चैन पहनते हैं और काला चश्मा पहनते हैं, लेकिन वे फेस मास्क नहीं पहनते हैं। मास्क के बारे में पूछे जाने पर, वे कहते हैं कि उनके पास पैसा नहीं है।

अरे,वाह!...कोरोना खत्म हो गया?
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कोरोना (Coronavirus)खत्म हो गया, यह देख कर बड़ी ही खुशी नही। दरअसल लोगों की मानें तो कोरोना (Covid-19) खत्म हो गया है, लेकिन सरकारी आंकड़ों और समाचारों की मानें तो कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। हर शाम को यह सुबह को या जब भी कुछ काम से बाहर निकलता हूं तो मुझे अधिकांश लोग बिना मास्क के घूमते हुए दिखाई देते हैं। यह देख कर एक बार तो मैं हैरान रह गया। फिर सोचा मास्क (mask) पहनना भूल गए होंगे। लेकिन एक साथ इतने लोग मास्क (mask) पहनना कैसे भूल सकते हैं? चलो मास्क नहीं पहना कम से कम सोशल डिस्टेंस (social distance)का पालन तो करो। लेकिन नहीं वो भी नहीं। कोरोना काल से पहले वाला समय याद आ गया। जब लोग भीड़ में एक दूसरे से सट कर चलते थे।

एक सब्जी वाला महिला ग्राहकों से घिरा था। एक दो ग्राहकों को छोड़ कर किसी ने भी मास्क नहीं पहना था। जिन महिलाओं ने मास्क भी पहना था तो वे।भीड़ में एक दूसरे से सट कर खड़ी थीं। मैं थोड़ी दूर पर भीड़ के कम होने का इंतजार करने लगा। इतने में सब्जी वाले ने पूछ ही लिया, भैया जी, क्या चाहिये? मैंने थोड़ा रोबीले आवाज में कहा, सबसे पहले तुम मास्क पहनों और लोगों को दूर दूर खड़ा करो। 

इतना कहना था कि, सभी दूकानदार और वहां खड़े ग्राहक दुश्मनी भाव से मुझे देखने लगे। इतनीं नजरों का केंद्र बन कर मैं नर्वस हो गया। मैंने लोगों के मनोभाव को पढ़ते हुए तुरंत मुस्कुराया और कहा, अरे भैया, कोरोना थोड़े ही न खत्म हुआ है। आप लोगों को मैं याद दिला रहा था। 

इतने में एक महिला (जो शायद कोरोना काल में गांव चली गई थी, और फिर वापस आ गई थी) ने कहा, अरे जब हम भीड़ में खड़े होकर अपने गांव गए और भीड़ में वापस आए, तब नहीं हुआ तो अब क्या होगा। तो दूसरी महिला ने कहा, आप ही मास्क लगाए हो, आप ही को कोरोना हुआ है। इतने में सब हंसने लगी। 

सब्जी वाला कहने लगा, भैया जी, आपको जो लेना है लेकर जल्दी से जाइये, यहां खड़े होकर भाषणबाजी मत कीजिए। मैं भी सब्जी और कुछ जरूरी सामान लेकर घर वापस आ गया। 

टीवी खोला तो, पत्रकारों की फौज नारकोटिक्स ऑफिस के बाहर खड़ी थी। रिया चक्रवर्ती से पूछताछ होनी थी। जैसे ही वह आई,सभी लोग उस पर टूट पड़े। मैं तो जैसे उछल गया। मेरे मुंह से निकल पड़ा, अरे कोरोना है, सोशल डिस्टेंस का तो पालन करो। लेकिन मैं यह भूल गया था कि, इन कोरोना योद्धाओं को मेरी आवाज कहाँ सुनाई देने वाली थी।

मैंने माथा ठोक लिया, इतने में जब सामान खोल रहा था तो कुछ दिन पहले का एक पेपर का कटिंग मिला, जिस पर लिखा था कि, देश में एक दिन में मिले कोरोना के एक लाख मरीज। 

मैंने सुना था कि, बहादुरी और वेबकूफ में मात्र पतले धागे का ही फर्क होता है। लेकिन यह जो हो रहा है उसे बहादुरी तो कदापि नहीं कहा जा सकता। अरे, आप दिखने वाले दुश्मन से लड़ सकते हैं। न दिखने वाले दुश्मन से अगर लड़ना है तो आपको सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन तो करना ही होगा।

एक खबर में मैनें पढा था कि, एक पेट्रोल पंप पर एक बाइक वाले को पेट्रोल भरने वाले ने जब मास्क पहनने को कहा तो, बाइक वाला उलझ गया। इतना ही नहीं, थोड़ी देर बाद उसने और लोगों को बुला लाया और पेट्रोल पंप पर तोडफ़ोड़ करने लगा। ऐसी खबरें और जगहों से भी सुनने को मिलीं।

अब बताइए इसके लिए क्या किया जाए। मैं समझता हूं,, जितनी गलती आम लोगों की है उससे कम गलती प्रशासन की नहीं है। प्रशासन चरण दर चरण सब कुछ खोलते जा रही है, जो जरूरी भी है। लेकिन उससे अधिक जरूरी है, लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही पर रोक लगाना। लोग मास्क पहनना भूल गए हैं। जबकि कोरोना से होने वाली मौतें लगातार बढ़ती ही जा रही है। यूपी में तो विधायक और मंत्रियों तक की मौत हो रही है, आम लोगों का क्या हाल होगा, इस पर सोचा भी नहीं जा सकता।

इसीलिए अभी हाल ही में मुंबई की मेयर किशोरी पेडणेकर ने कहा था कि, कोरोना (Coronavirus) संकट के समय में, मुंबईकर नियमों का पालन कर रहे हैं और सावधानी भी बरत रहे हैं। लेकिन केवल 2% लापरवाह नागरिक बिना मास्क (mask) के भी घूम रहे हैं। इसके कारण वे अनजाने में 98% मुंबईकरों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।

उन्होंने कहा, प्रत्येक मुंबईकर को घर से बाहर जाते समय सार्वजनिक स्थानों पर मास्क (wearing mask in public place) पहनना अनिवार्य किया गया है।  फिर भी, कुछ लोग मास्क बिना मास्क पहने हुए दिखाई देते हैं। 

हाकई हालांकि ऐसे लोगों की संख्या 2 फीसदी ही है, लेकिन ऐसे लोग 98 फीसदी लोगों की जान खतरे में डाल रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा, 2 फीसदी लोग 98 फीसदी लोगों को मारने का काम कर रहे हैं। उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि यह अति आत्मविश्वास दूसरों के जीवन को प्रभावित कर रहा है।  निर्दयी लोग यह समझने के लिए तैयार नहीं हैं कि कोरोना लोगों के घरों में मौत का कारण बनता है।

मेयर ने कहा, कुछ लोग अपने गले में सोने की चैन पहनते हैं और काला चश्मा पहनते हैं, लेकिन वे फेस मास्क नहीं पहनते हैं। मास्क के बारे में पूछे जाने पर, वे कहते हैं कि उनके पास पैसा नहीं है। यह मानसिकता पूरी तरह से गलत है। मेयर किशोरी पेडणेकर ने कहा कि ऐसे लोग अपराधी हैं जो मास्क नहीं पहनते हैं।

कोरोना वायरस (Coronavirus) की बढ़ती हुई घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए BMC ने मुंबईकरों के लिए मास्क (mask) पहनना अनिवार्य किया है। बावजूद इसके लोग बिना मास्क पहने ही घर से बाहर निकल रहे हैं। यह देखते हुए BMC ने कार्रवाई स्वरूप बिना मास्क पहने हुए लोगों से अब जुर्माना वसूल करने का निर्णय लिया है।

शुरुआत में यह जुर्माना 1,000 रुपये था। लेकिन अब जुर्माने की राशि को 1000 से घटाकर 200 रुपये करने का निर्णय लिया गया है, ताकि इससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा न मिले। BMC प्रशासन ने इस नए फैसले को तुरंत लागू करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे दिया है।

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