मराठा आरक्षण पर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद इस फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया है। कोर्ट इस मामले में 12 जुलाई को सुनवाई करेगा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य में मराठा आरक्षण को सही ठहराया था लेकिन आरक्षण की सीमा को 16 फिसदी से घटाकर सीमा शैक्षिक संस्थानों में 12 फीसद और सरकारी नौकरियों में 13 फीसद कर दिया था।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने मराठा कोटे पर तत्काल सुनवाई की याचिका का संज्ञान लिया। पीठ इस मुद्दे पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी। यह याचिका गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) यूथ फॉर इक्विलिटी के प्रतिनिधि संजीत शुक्ला ने दायर की थी।
क्या कहा गया है याचिका में
याचिका में कहा गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में क्रमश: 12 फीसद और 13 फीसद आरक्षण मराठा समुदाय को दिया गया है। यह सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी मामले में दिए गए आदेश के खिलाफ है जिसमें उच्चतम न्यायालय ने किसी भी सूरत में आरक्षण की सीमा 50 फीसद से ज्यादा नहीं होने का आदेश दिया है।
मराठा क्रांती मोर्चा समिति और महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कैविएट दायर कर दी थी। इसमें कहा गया था कि इस मुद्दे पर कोई भी आदेश देने से पहले सरकार का पक्ष अवश्य सुना जाए।