पिछले कुछ दिनों से देश की राजनीती कुछ ज्यादा ही गरम है। एक तरफ जहां कश्मीर मुद्दा अभी तक ठंडा नहीं हुआ है तो दूसरी तरफ बड़े नेताओं की गिरफ्तारी और पूछताछ का दौर भी जारी है।
क्या राज बने हैं बीजेपी का टारगेट?
गुरूवार को देश भर में पी चिदंबरम और राज ठाकरे की खबर चर्चा का विषय बनी रही।
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व गृह मंत्री पी.चिदंबरम की गिरफ्तारी से जहां कांग्रेस तिलमिला उठी है, तो वहीं आग में घी डालने का काम किया महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी मनसे प्रमुख राज ठाकरे को कोहिनूर CTNL मामले को लेकर पूछताछ के लिए ईडी द्वारा समन भेजना।
गुरूवार को लगभग 9 घंटे तक ईडी ने राज ठाकरे से पूछताछ की। हालांकि इस पूछताछ में क्या कुछ हुआ अभी तक यह बात सामने नहीं आई, लेकिन ईडी ऑफिस से निकलने के बाद राज ने कहा कि, चाहे कितनी भी जांच कर ले, लेकिन कोई मेरी आवाज को दबा नहीं सकता। मैं अपना काम करता रहूँगा।
राज के समर्थन में विपक्ष और शिवसेना भी
राज ठाकरे के समर्थन में तो बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना तक उतर आई।
एक तरफ शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि इस जांच से कुछ नहीं निकलेगा तो दूसरी तरफ पार्टी के ही सांसद और प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि, भले ही हम राजनीति रूप से एक दुसरे के विरोधी हैं लेकिन संकट के समय में हम एक परिवार हैं।
इसीलिए बहुत संभव है कि इस मामले का कुछ संतोषजनक हल निकल जाए।
कांग्रेस है सकते में
कांग्रेस के लिए पी चिदंबरम की गिरफ्तारी और भी खलने वाली रही क्योंकि पी चिदंबरम कांग्रेस की पहली पंक्ति के नेता हैं, उनकी गिरफ्तारी एक तरह से कांग्रेस पार्टी पर ही सवाल खड़ा करता है।
अगर स्थिति में गौर किया जाए तो यहां जितनी भद्द चिदंबरम की पिटी उतनी राज की नहीं। राज के समर्थन में महाराष्ट्र के कई हिस्सों में आंदोलन हुए, मुंबई और ठाणे में पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था रही, लेकिन पी चिदंबरम 27 घंटे तक लापता रहे, यही नहीं सीबेईआइ को उनके घर की दीवार फांद कर अंदर जाना पड़ा। यानी एक तरफ मुंबई में पुलिस इस बात से डरी थी कि कहीं मनसे वाले अपने स्टाइल में न उतर जाएं तो वहीं दूसरी पी चिदंबरम जैसे नेता पुलिस से डर कर भागते फिर रहे थे।
हर पार्टी के नेता को अपने ऊपर खतरा मंडराता महसूस हो रहा है। यही कारण है कि इस समय पूरा विपक्ष एक जुट होकर मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है और इसे बदले की कार्रवाई बता रहा है। विपक्ष, मोदी सरकार पर बदले की कार्रवाई का आरोप ऐसे ही नहीं लगा रही है। राबर्ट वाड्रा हो या मायावती, ममता बैनर्जी हो या पी. चिदंबरम या फिर राज ठाकरे कई नेता इस समय जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। यह अलग बात है कि इनमें सबसे अधिक कांग्रेस के नेता हैं, इसमें राहुल और सोनिया गांधी तक जांच के घेरे में हैं।
यही नहीं अभी और भी ऐसे नेता हैं जो निशाने पर आ सकते हैं, इनमें अगस्ता वेस्टलैंड वीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले में सोनिया गांधी के बेहद ख़ास अहमद पटेल, और जमीन घोटाला मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर नेता भूपिंदर हुड्डा सहित कांग्रेस के ही नेता शशि थरूर जैसे नेता शामिल हैं।
अन्य लोग भी होंगे निशाने पर
देश की राजनीति में इस समय जैसा माहौल है उससे विपक्ष बुरी तरह से खौफ में है।
जिस तरह की स्थिति बनी हुई है उसे देख कर दिवंगत अभिनेता राजेश खन्ना की महशूर फिल्म आनंद का एक डायलोग याद आता है, ‘हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं जिनकी डोर उपरवाले के हाथ में बंधी है, कब कौन कैसे उठेगा यह कोई नहीं जानता।
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‘यानी राजनीति के रंगमंच पर इस समय विपक्ष की डोर सत्ता पक्ष के हाथ में बंधी है। किसकी डोर कब कहां कैसे खिंच जाएं यह कोई नहीं जानता।'