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मुख्यमंत्री की राह देखता प्राकृतिक आपदा का शिकार विदर्भ

कहा जा रहा है कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बाढ़ क्षेत्रों का दौरा न किया होता तो सरकार की ओर से न तो किसी मंत्री का दौरा होता और न ही किसी आर्थिक मदद की घोषणा की जाती।

मुख्यमंत्री की राह देखता प्राकृतिक आपदा का शिकार विदर्भ
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किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा (natural disaster) आने की स्थिति में वहां के लोगों की पहली उम्मीद यही होती है कि उन्हें राहत दी जाए। ये राहत सरकार के अलावा और कौन दे सकता है, इसलिए उम्मीद यही होती है कि आफत, आपदा से प्रभावितों की हालत देखकर उन्हें मदद देने के लिए स्वयं मुख्यमंत्री (Chief minister) बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करें और जिला प्रशासन को यह निर्देश दें कि बाढ़ प्रभावितों को तत्काल राहत दी जाए। पिछले दिनों विदर्भ (vidarbha) में अतिवृष्टि के कारण आई से बाढ़ भारी नुकसान हुआ। किसी का घर पानी में बह गया तो किसी की पूरी की पूरी संपत्ति को बाढ़ से गई। विदर्भ के गडचिरोली, भंडारा, गोंदिया, चंद्रपुर तथा नागपुर (nagpur) जिले के अनेक गांव मूसलाधार वर्षा (heavy rain)  के कारण जलमग्न हो गए। 

मध्यप्रदेश (MP) के संजय सागर जलाशय से छोडे गए पानी के कारण विदर्भ के गोसेखुर्द जलाशय में जल स्तर बहुत ज्यादा बढ गया, इस वजह से गोसेखुर्द जलाशय के सभी 33 दरवाजे खोलने पडे, जिसके परिणामस्वरूप भंडारा की वैनगंगा के अलावा कन्हान, नाग, चुलबंद समेत कई नदियों, जलाशयों में इतना पानी भर गया, जिससे विदर्भ (Vidarbha) के पांच जिलों में भारी मची। संकट के इस काल में लोगों तथा कुछ जनप्रतिनिधियों की मदद से बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा कर उनके निवास तथा भोजन की व्यवस्था करायी गई। बाढ़ प्रभावितों की ओर से जब हो हल्ला मचा तो राज्य सरकार के नुमांइदों बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का शुरु किया। 

विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले(nana patole), विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता तथा राज्य के पर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) बाढ़ प्रभावित जिलों के पालक मंत्रियों ने दौरा किया और बाढ़ से बेघर हुए लोगों को राहत दिलाने का आदेश दिया, लेकिन बाढ़ प्रभावितों का हालचाल पूछने के लिए अभी तक माननीय मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav Thackeray) का आगमन नहीं हुआ है। माननीय मुख्यमंत्री (chief minister) ने अभी तक किसी भी बाढ प्रभावित क्षेत्र का दौरा नहीं किया है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की ओर से मांग की जा रही है कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav Thackeray) को स्वयं आकर हमारी हालत देखनी चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री हैं कि वे अपने घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। मुख्यमंत्री हों या प्रधानमंत्री उन्हें तो केवल हवाई सर्वेक्षण करना होता है, ऐसे में खुद को किसानों, गरीबों का मसीहा कहने वाले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, जो स्वयं मुख्यमंत्री हैं, उन्हें बाढ़ से कराह रहे किसानों, गरीबों का आर्तनाद की ओर ध्यान देने का समय नहीं है. 

नागपुर संभाग में 30 अगस्त से 1 सितंबर की कालावधि में हुई मूसलाधार वर्षा तथा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की तत्काल मदद के लिए 16.48  करोड़ रूपए की निधि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से मंजूर की है। मदद एवं पुनर्वास मंत्री ने विजय वडेट्टीवार (vijay vadettivar) ने बताया कि मुख्यमंत्री की ओर से जो निधि बाढ़ प्रभावितों के लिए दी गई है, उस निधि से बाढ़ प्रभावितों को राहत प्रदान की जाएगी। मदद तथा पुनर्वास मंत्री की ओर से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान करायी गई निधि में से जिनके घर बाढ़ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, उनके लिए 8 करोड़, 86 लाख रूपये देने की घोषणा की गई है, जबकि अंशतः क्षतिग्रस्त घरों के मालिकों के बीच 7 करोड़, 15 लाख रूपए की मदद सरकार की ओर दी गई है। इसके अलावा मदद छावनियों के परिचालन के लिए 47 लाख रुपए का बजट निधार्रित किया गया है। 

मदद तथा पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवार ने नागपुर जिले के मौदा तथा भंडारा जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद उक्त मदद राशि की घोषणा की। एक तरह बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जनता के आर्तनाद पर देर से ध्यान देना और दूसरी ओर नुकसान की तुलना में बहुत कम धनराशि मुहैय्या करने के बीच मुख्यमंत्री का बाढ़ प्रभावित लोगों के बीच न आने से जनता में सरकार के प्रति नाराजगी देखी जा रही है। कहा जा रहा है कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (ex cm devendra fadnavis) ने बाढ़ क्षेत्रों का दौरा न किया होता तो सरकार की ओर से न तो किसी मंत्री का दौरा होता और न ही किसी आर्थिक मदद की घोषणा की जाती। वैसे भी मुख्यमंत्री ने कोरोना की वजह से खुद को अपने घर में कैद कर लिया है और उनकी जगह राकांपा सुप्रिमो तथा राज्य सरकार के गठन में अहम योगदान करने वाले शरद पवार दौरों की जिम्मेदारी खुद पर ली है। 

पिछले दिनों शरद पवार (sharad pawar) ने मुख्यमंत्री से कहा था कि आप मातोश्री (matosri) में बैठकर सरकार चलाइए, दौरे, सम्मेलन, आंदोलन में जाने की जिम्मेदारी मैं लेता है। शायद यही कारण है मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अभी तक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए नहीं आए। बहुत संभव है कि आने वाले दिनों में शरद पवार (sharad pawar) विदर्भ के बाढ़ प्रभावितों के दुख दर्द सुखने के लिए आ जाए और यह कहकर जाए कि मुख्यमंत्री नहीं आए तो क्या हुआ, मैं तो आया हूं. मैं आप सबकी समस्याएं जानता हूं, आप व्यथित न हो, कोई  बेघर और भूखा नहीं रहेगा।

(Note: यह लेखक के अपने विचार हैं, mumbai live से इसका कोई संबंध नहीं है।)

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