Advertisement

भारत का लोकतंत्र- एक तरफ कुआं, एक तरफ खाई


भारत का लोकतंत्र- एक तरफ कुआं, एक तरफ खाई
SHARES

भारत को दुनियां में सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है। चीन के बाद दुनियां में सबसे ज्यादा आबाजी भारत की है,लेकिन चीन में लोकतंत्र ना होने के कारण भारत को ही दुनियां का सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है। लेकिन इसके साथ ही ये बात भी आपको ध्यान में रखना होगा की हम दुनियां का बसे बड़ा लोकतंत्र देश तो है लेकिन सबसे पूराना नहीं। दुनियां में अमेरिका को सबसे पूराना लोकतंत्र देश माना जाता है। हालांकी भारत के लोकतंत्र को सबसे सफल लोकतंत्र में से एक माना जाता है।

आप शायद सोच रहेंगे होगे की स्टोरी के पहले ही पंक्ति में इतने सारे लोकतंत्र शब्दों का उपयोग क्यों? दरअसल आज के दौर में भारत में लोकतंत्र की जो स्थिती है , उस स्थिती में हम सिर्फ नाम ही ले सकते है। भारत का लोकतंत्र ना ही सिर्फ जनसंख्या के आधार पर बल्की राजनीतिक पार्टियों की संख्यां के आधार पर भी सबसे बड़ा लोकतंत्र है। देश में छह मुख्य राष्ट्रीय पार्टिया है: भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है , इसके साथ ही शिवसेना, तृणमुल कांग्रेस ,टीडीपी जैसी कई क्षेत्रिय पार्टियां है। भारत में लगभग हर चुनाव में किसी ना किसी नई पार्टी का जन्म होता है।

भारत में कुल 70 से भी ज्यादा पार्टियां रजिस्टर है, हालांकी इसके साथ ही कई पार्टियां ऐसी भी है जो रजिस्टर नहीं है , लेकिन एक दो सीट पर उनके उम्मीदवार है। भारत में अगर किसी पार्टी को चार राज्यों में पार्टी के तौर पर मान्यता मिलती है तो वह अपने आप ही राष्ट्रीय पार्टी बन जाती है।
अब बात करते है भारत के लोकतंत्र के बारे में...भारत में भले ही 70 से ज्यादा पार्टियां रजिस्टर हो लेकिन देश में मुख्य तौर पर ही दो पार्टियों में मुकालबा देखा जाता है, बीजेपी और कांग्रेस के बीच। दोनों ही पार्टियों ने इस देश को प्रधानमंत्री दिये है। जहां बीजेपी ने अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री देश को दिये है तो वही कांग्रेस ने मनमोहन सिंह , राजीव गांधी , इंदिरा गांधी जैसे प्रधानमंत्री देश को दिये है। लेकिन गौर करनेवाली बात है की दोनों ही पार्टियों के दाम पर भ्रष्टाचार और धर्म की राजनीति के दाग लगे है।

जहां एक ओर कांग्रेस को मुस्लिम धर्म के लोगों के करिब माना जाता है तो वही बीजेपी ने शुरु से ही अपनी राजनीति के केंद्र में हिंदूत्व को रखा है। ये कहना गलत नहीं होगा की बीजेपी का जन्म ही हिंदुत्व के मुद्दे पर हुआ है। दश में प्रधानमंत्री पद के लिए मौजूदा समय में इन दोनों पार्टियों के बीच ही मुकाबला होता है।

कांग्रेस पर पहले से ही कई तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे है। तो वही बीजेपी के इतिहास पर भी देखा जाए तो भ्रष्टाचार के दाग उनके दामन पर भी लगे है। मौजूदा मोदी सरकार पर राफेल डील , नोटबंदी , जय शाह घोटाला जैसे कई मामलो के दाम मौजूदा सरकार पर लगे है हालांकी ये अलग बात है की अभी तक इन मामलों की जांच होने बाकी है।

जहां कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को अपनी राजनीति का जरिया बना लिया था , तो वही बीजेपी धर्म को लेकर लोगों की भावनाओं के साथ खेल रही है। दोनों ही पार्टियों ने मतदाताओं को अपने पैर की चोटी पर रखा है। दोनों ही पार्टियों के लिए मतदाता सिर्फ एक वोट देनेवाला वोटर है . उससे ज्यादा और कुछ नहीं। बीजेपी ने शुरु से ही धर्म और राम मंदिर को अपना मुद्दा बनाया है। ये बात सभी को पता हैकी दोनों ही पार्टियों को बड़े बड़े व्यापारिक घराने चंदा देते है।

दोनों में किसी भी पार्टी ने राजनीतिक पार्टियों को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। लोकपाल के मुद्दे पर दोनों ही पार्टियों ने कोई खास काम नहीं किया। राजनितीक पार्टियों को बॉन्ड़ के जरिये चंदा देने के प्रस्ताव का भी दोनों ही पार्टियों ने विरोध नहीं किया। इन दोनों पार्टियों की ओर देखा जाए तो ऐसा लगता है की एक डाल डाल तो एक पात पात ।मौजूदा सरकार ने जहां रॉवर्ट वाड्रा को जेल में डालने की बात कही थी तो वही वाड्रा आज भी खुले घूम रहे है। इतना ही नहीं मौजूदा सरकार ने ये भी वादा किया था राजनीति में एक भी अपराधी प्रवृत्ति वाले को टिकट नहीं दिया जाएगा , लेकिन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही जमकर अपने उम्मीदवार जिताने के लिए अपराधिक प्रवृत्ति वाले को टिकट दिया।

दोनों ही पार्टियों की बात की जाए तो ऐसी कई बाते सामने आएगी जो इस देश के आम मतदाता को काफी निराश कर सकती है, लेकिन एक बात तो सत्य है की आप चाहे कांग्रेस को वोट दे या फिर बीजेपी को , दोनों की सुरत में आपके पास या तो खाई है या फिर कुआं।

संबंधित विषय
Advertisement
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें