संजय निरुपम और विनोद तावड़े , राज्य की राजनिती में दो ऐसे नाम है जिन्हे किसी पहचान की जरुरत नहीं है। संजय निरुपम लोकसभा सांसद होने के साथ साथ कभी मुंबी कांग्रेस के अध्यक्ष भी हुआ करते थे। तो वही विनोद तावड़े राज्य के बीजेपी सरकार में मंत्री है और जब राज्य में उनकी पार्टी विपक्ष में थी तो वह विधान परिषद में बीजेपी के नेता भी हुआ करते थे। लेकिन हाल ही के दिनों में दोनों ही नेताओं का कद उनकी पार्टी में काफी छोटा होता जा रहा है। जहा एक संजय निरुपम अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ बोल रहे है तो वही दूसरी ओर विनोद तावड़े जैसे वरिष्ठ बीजेपी नेता को राज्य में होनेवाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया गया।
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से बाहर
संजय निरुपम को पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान की साइड लाइन करने की कोशिश की। पहले तो उन्हे मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया और फिर धीरे धीरे उनके लॉबी के पार्टी पदाधाकारियों को भी हटा दिया गया। हालांकी इस दौरान उन्हे अपनी मनपसंद लोकसभा सीट यानी की उत्तर पश्चिम से कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए उतारा। इस सीट से स्वर्गीय कांग्रेस नेता गुरुदास कामत ने लोकसभा चुनाव लड़ा था, हालांकी उनकी मौत के बाद इस सीट से पार्टी ने संजय निरुपम को टिकट दिया। साल 2019 का लोकसभा चुनाव भी निरुपम हार गए। जिसके बाद से मुंबई कांग्रेस के पदाधिकारियों ने उन्हे साइडलाइन कर दिया।
अपने ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ खोली जुबांन
निरुपम ने राज्य में होनेवाले विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी ही पार्टी के नेताओं पर निशाना साधा। निरुपम ने कहा की अगर कांग्रेस पार्टी अपना आत्ममंथन नहीं करती है तो उसे विधानसभा चुनाव में और भी बूरी हार का सामना करना पड़ेगा। दरअसल निरुपम ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने कुछ उम्मीदवारों का नाम पार्टी को दिया था लेकिन किसी भी उम्मीदवार का चयन ना किये जाने के कारण उन्होने पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ ही आवाज बुलंद कर दी।
विनोज तावड़े का भी कद घटा
साल 2014 के विधानसभा चुनाव के पहले बीजेपी राज्य में विपक्ष की भूमिका में थी। उस समय विनोद तावड़े महाराष्ट्र विधान परिषद में बीजेपी के नेता था। राज्य में सरकार बनने के बाद उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में भी आने लगा , हालांकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन राज्य बीजेपी अध्यक्ष देवेंद्र फड़णवीस को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। विनोद तावड़े को मंत्री पद से ही संतुष्ठ करना पड़ा। हालांकी साल 2019 का विधानसभा चुनाव आते आते उनके कद को और भी घटा दिया गया और उन्हे दिये गए मंत्रालय में कमी कर दी गई।
नहीं मिला विधानसभा टिकट
विनोद तावड़े जहां एक ओर राज्य सरकार में मंत्री है तो वही दूसरी ओर विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने उन्हे विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया है। विनोद तावड़े जैसे बड़े नेता को टिकट ना देकर बीजेपी ने पार्टी के कई नेताओं को चौंका दिया है। पार्टी ने विनोद तावड़े की जगह सुनील राणे को टिकट दिया है।