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कैसा रहा है महाराष्ट्र की राजनिती का पिछलें 10 सालों का सफर


कैसा रहा है महाराष्ट्र की राजनिती का पिछलें 10 सालों का सफर
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भारतीय लोकतंत्र को दुनिया का बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है।1947 की आजादी के बाद से भारत ने कई राजनितीक उठापठक देखे है। भारत के एक सफल लोकतंत्र इसलिये कहा जात है क्योकी समे समावेश होता है संघीय ढांचे का। भारत  मे छोड़े बड़े कुल मिलाकर 28 राज्य एवं 9 केन्द्र शासित प्रदेश है। इन्ही राज्यों में से एक है महाराष्ट्र। महाराष्ट्र  देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक है। संस्कृति के साथ साथ ही इस राज्य ने देश को कई बड़े नेता भी दिये है।

देश के आजादी के समय जिस राज्य ने सबसे अहम भूमिका निभाई थी वह था महाराष्ट्र। वह चाहे कांग्रेस का अधिवेशन हो या फिर आजादी के लिए किसी और दल की बैठक होना । महाराष्ट्र हमेशा से ही राजनीतिक गतिविधियों में आगे रहा है। हालांकी पिछलें 10 सालों में इसी महाराष्ट्र में ऐसी राजनीतिक घटनाएं भी हुई है जिसे पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खिंचा है। आईये डालते है नजर ऐसे ही कुछ राजनीतिक घटनाओं पर


शरद पवार ने दी शाह को मात- राज्य में हुए हालिया विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। तो वही दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी ने भी साथ मिलकर चुनाव लड़ा। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 56 सीटें , बीजेपी को 105 सीटे , कांग्रेस को 42 सीटें और एनसीपी को 54 सीटें आई। विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के बाद मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर शिवसेना और बीजेपी में विवाद हो गया।

जिसके बाद शिवसेना ने बीजेपी से अपना समर्थन वापस ले लीया और 35 साल पुराना शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन टूट गया।  शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ही और शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे राज्य के नये मुख्यमंत्री बने। उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के पीछे सबसे बड़ा हाथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बताया जाता है। शरद पवार ने ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को शिवसेना का साथ देने के लिए मनाया।  


मराठा आरक्षण का मुद्दा हल-

मराठा आरक्षण का भी मुद्दा सरकार के लिए काफी अहम था। पिछले कई सालों से मराठा आरक्षण की मांग लगातार हो रही है ,कांग्रेस एनसीपी की सरकार में भी इस मुद्दे का कोई मुद्दे का कोई परमानेंट हल नहीं निकल पाया । हालांकि देवेंद्र फडणवीस सरकार ने  मराठा आरक्षण को पास किया इसके साथ ही हाईकोर्ट में भी मराठा आरक्षण के अपनी बहस को सही साबित किया। देवेंद्र सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया  दिया जिसके तहत मराठा समुदाय में मराठा समुदाय को इकोनामिक बैकवर्ड कास्ट में शामिल किया गया।

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