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Budget 2020-21: महाराष्ट्र ने भुगता केंद्र से टकराव का नतीजा

राज्य की महाविकास आघाडी सरकार (mahavikas aaghadi) ने इस बजट को किसानों तथा आम लोगों का न बताकर बड़े व्यापारियों के हितों वाला बताया है।

Budget 2020-21: महाराष्ट्र ने भुगता केंद्र से टकराव का नतीजा
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन (nirmala sitaraman) ने 2 फरवरी को संसद में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जो बजट (budget) पेश किया है, उसमें महाराष्ट्र को जो कुछ मिला है, उसे भले ही सत्तारूढ़ भाजपा (bjp) तथा उनके सहयोगी दलों दी ओर से बहुत ज्यादा बताया जा रहा हो लेकिन राज्य की महाविकास आघाडी सरकार (mahavikas aaghadi) ने इस बजट को किसानों तथा आम लोगों का न बताकर बड़े व्यापारियों के हितों वाला बताया है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन (bullet train), मेट्रो कार शेड (metro car shed) जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार से टकराना महाराष्ट्र (maharashtra) के लिए नुकसानदेह साबित हुआ है। केंद्रीय बजट में महाराष्ट्र को जो मिला वह रेलसेवाओं के विस्तार के रूप में मिला, जबकि अन्य क्षेत्रों में पिछले बजट की तरह की धनराशि आवंटित की गई है।

केंद्रीय बजट में महाराष्ट्र के लिए भुसावल से खरगपुर के बीच यातायात कैरियर का प्रस्ताव के साथ-साथ मुंबई (Mumbai) से कन्याकुमारी के बीच 65 हजार करोड़ का 600 किमी का कैरियर के निर्माण का भी बजट रखा गया है। बजट में नागपुर, नासिक मेट्रो के लिए आठ हजार रूपए खर्च करने का प्रस्ताव है। नासिक मेट्रो रेल प्रकल्प के लिए इस बार के केंद्रीय बजट में 2092 करोड़ तथा नागपुर मेट्रो के लिए 5976 करोड़ रूपए दिए गए हैं। 

देश में स्थापित किए जाने वाले सात मेगा टेक्सटाइल पार्क बनाये जाएंगे, जिनमें से दो का निर्माण महाराष्ट्र में होगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) ने केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि कोई भी बजट जनता के हितों से जुड़ा होना चाहिए, उसके पीछे चुनाव की लाभ का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। मुख्यमंत्री की तरह ही उम मुख्यमंत्री अजित पवार (ajit pawar) ने भी केंद्रीय बजट की आलोचना की है। 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च 2022 इस वित्त वर्ष में केंद्रीय कर तथा शुल्क के माध्यम से महाराष्ट्र को 42043.60 करोड़ रूपए मिलेंगे, यह बजट पिछली बार की तुलना में 8300.33 करोड़ रूपए ज्यादा है। 

15 वें वित्त आयोग की सिफारिशों महाराष्ट्र को दी गई धनराशि में अच्छी खासी वृद्धि की गई, फिर  भी राज्य सरकार की ओर से असंतोष व्यक्त किया जा रहा है। केंद्रीय कर तथा शुल्क में महाराष्ट्र का हिस्सा 6.317 प्रतिशत है। महाराष्ट्र को मिली धनराशि में कोपोरेट दर 12232.48 करोड, प्राप्तिकर 12430.50 करोड़, संपत्ति कर 53 लाख रूपए, केंद्रीय जीएसटी 13584.57 करोड़ रूपए आयात शुल्क 2540.44 रूपए, केंद्रीय आबकारी शुल्क (एक्साइड ड्यूटी) 1230.24 तथा सेवा कर 25.90 करोड़ रूपए का समावेश है। नागपर मेट्रो (nagpur metro) के दूसरे चरण के लिए11.216 हजार करोड़ रुपए का खर्च प्रस्तावित है, इसके तहत 44 किमी मार्ग पर मेट्रो रेल सेवा शुरू की जाएगी। इसके तहत केंद्रीय बजट में 5976 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं। नागपुर के दूसरे चरण में संतरा नगरी के कामठी, कन्हान, बुट्टीबोरी, हिंगणा इस क्षेत्रों में मेट्रो सेवा का विस्तार होगा। मेट्रो ने सन् 2018 में दूसरे चरण की रूपरेखा बनायी थी। नागपुर मेट्रो के दूसरे चरण में मेट्रो से यात्रा करने वाले यात्रियों की क्षमता साढ़े पांच लाख तक हो जाएगी। इस चरण में नागपुर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मेट्रो रेल सेवा का लाभ मिलेगा। महाराष्ट्र के कृषि प्रधान जिले के रूप में शुमार पालघर के लोगों ने केंद्रीय बजट में महाराष्ट्र को जो कुछ मिला है, उस पर संतोष जताया है। यह क्षेत्र मच्छीमारी के लिए भी प्रसिद्ध है।                   

पालघर (palghar) जिले में उद्योगों की संख्या बहुत ज्यादा है, बजट में सभी उद्योगों को कुछ न कुछ दिया गया है। पिछले वर्ष कोरोना महामारी (corona pandemic) के कारण अर्थव्यवस्था को जबर्दस्त झटका लगा था, उस समय के हालात बहुत खराब थे, उसे सुधारने की कोशिश भी बजट में की गई है। राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने तो साफ तौर कहा है कि केंद्रीय बजट में महाराष्ट्र के अन्याय किया गया है। इस अन्याय को दूर करने के लिए महाराष्ट्र के सभी दलों के सांसद केंद्रीय वित्त मंत्री से मुलाकात करके राज्य की जनता पर हुए अन्याय को दूर करने की बात कही है। केंद्र सरकार ने मुंबई तथा महाराष्ट्र के लिए जो कुछ दिया है, वह सिर्फ मेट्रो रेल सेवा के लिए दिया है। नागपुर मेट्रो की तरह नासिक मेट्रो के लिए 2092 करोड़ रूपए का बजट रखा गया है। वर्धा-यवतमाल-नांदेड रेल मार्ग, नासिक-पुणे, कराड़-चिपलूण  रेल मार्ग के लिए अच्छा बज़ट रखा गया है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो केंद्रीय बजट में राजनीतिक टकराव के कारण महाराष्ट्र को नुकसान सहन करना पड़ा है। गरीब, सामान्य, मध्यमवर्गीय लोगों के अलावा किसानों के लिए यह बजट पिछले वर्ष की तरह ही रहा, फर्क इतना ही रहा इस बार राज्य में रेल मार्गो के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने अपनी तिजोरी जिस तरह से खोली है, वैसी पहले कभी नहीं खोली गई।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह उनके विचार हैं।)

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