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उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के लिए संजय राउत ने निभाई सेनापति की भूमिका!

24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत लगातार राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री होने की बात कर रहे थे

उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के लिए संजय राउत ने निभाई सेनापति की भूमिका!
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गुरुवार शाम को शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आखिरकार राज्य के 19वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।  शुक्रवार को उद्धव ठाकरे ने मंत्रालय जाकर अपना पद और कामकाज दोनों संभाल लिया। राज्य में 20 साल के बाद कोई शिवसैनिक मुख्यमंत्री बना है। इसके पहले साल 1995 में शिवसेना के मनोहर जोशी और फिर नारायण राणे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने में जिस शख्स ने सेनापती की भूमिका निभाी है उसका नाम है संजय राउत। 24 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत लगातार राज्य में शिवसेना का मुख्यमंत्री होने की बात कर रहे थे।



जैसे ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए, अमित शाह ने राजधानी दिल्ली में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए हरियाणा और महाराष्ट्र में ‘कमल’ खिलने पर बधाई थी, लेकिन इसी बीच एक शिवसेना का एक सैनिक सीना ताने मीडिया के सामने आया और महाराष्ट्र में भाजपा के मुकाबले आधी सीटें जीतने के बाद भी शिवसेना का मुख्यमंत्री की मांग कर बैठा। . शिवसेना का वो सैनिक था संजय राउत , जो राज्यसभा में पार्टी के सांसद के साथ मुखपत्र सामना के एक्जिक्यूटिव संपादक भी हैं।

 संजय राउत को फ्री हैंड

विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद संजय राउत ने जब मीडिया के समक्ष कहा कि भाजपा से शिवसेना की ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री की बात हुई है, मीडियाकर्मियों के मुंह खुले के खुले रह गए। शिवसेना की इस मांग को बीजेपी ने सिरे से खारिज कर दिया। बीजेपी के देवेंद्र फड़णवीस ने साफ कहा की शिवसेना के साथ सत्ता बंटवारे की बात हुई थी लेकिन मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर कोई भी बात नहीं हुई थी।  शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे ने भी चाहे वो सत्ता का लालच हो या फिर अपने सुपुत्र आदित्य ठाकरे का राजनीतिक भविष्य, संजय राउत को फ्री हैंड दे दिया। एक ओर भाजपा के देवेंद्र फडणवीस के साथ अन्य बड़े नेता बयान देते रहे लेकिन शिवसेना की ओर से अकेले संजय राउत ने मोर्चा संभाले रखा। वह रोज मीडिया के सामने आकर शिवसेना और उद्धव ठाकरे का पक्ष रखते है बीजेपी पर निशाना साधते।  

एनसीपी , कांग्रेस और शिवसेना के गठबंधन की कोशिश जब चल रही थी तब भी संजय राउत की अहम भूमिका रही।  एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी संजय राउत ने लगातार संपर्क साधे रखा और वक्त पड़ने पर उद्दव ठाकरे से बात भी कराई। इसके साथ ही जब एनसीपी ने शिवसेना को एनडीए से बाहर निकलने के लिए कहा तो संजय राउत ने तुरंत ही कहा की केंद्र सरकार में शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत इस्तीफा देकर एनडीए से बाहर निकलेंगे।  संजय राउत  के व्यक्तित्व का ही कमाल था जिसके चलते शरद पवार खुद सोनिया गांधी से मुलाकात करने दिल्ली जा पहुंचे।


तबियत भी बिगड़ी

जब राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राजभवन में आमंत्रित किया, उसी दिन संजय राउत की तबीयत बिगड़ गयी और वे मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराए गए। उनकी एंजियोप्लास्टी भी की गई। उनकी अनुपस्थिति में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच बातचीत ऐसी उलझी कि साफ तौर पर बन रहा गठबंधन सोनिया गांधी और कांग्रेस के समर्थन पत्र में उलझ कर रह गया।


शिवसेना संस्थापक एवं सुप्रीमो बाला साहेब और उनके बाद उद्दव ठाकरे के करीबी रहे 57 वर्षीय संजय राउत को शिवसेना की तरफ से 2004 में पहली बार राज्यसभा भेजा गया।  2005 में उन्हें गृह मामलों की समिति, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति का सदस्य बना दिया गया। 2010 में उन्हें शिवसेना की तरफ से दूसरी बार राज्यसभा भेजा गया। इस बार उन्हें बिजली मंत्रालय, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले, सार्वजनिक वितरण एवं परामर्शदात्री समिति का सदस्य बनाया गया। 2016 में उन्हें तीसरी बार राज्यसभा का सदस्य बनाकर भेजा गया। इस दौरान भाजपा-शिवसेना की गठबंधन सरकार महाराष्ट्र की सत्ता पर आसीन थी।

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