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बीजेपी ने जीता चुनाव , कांग्रेस ने जीती तारीफ !

कांग्रेस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आक्रामक प्रचार और सही समय पर सही शब्दो के इस्तेमाल के बारे में बहुत कुछ सीखना होगा।

बीजेपी ने जीता चुनाव , कांग्रेस ने जीती तारीफ !
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18 दिसंबर को आए गुजरात चुनाव के परिणाम में जहां बीजेपी को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई तो वहीं कांग्रेस को 80 सीटों पर लोगों ने जीताकर भेजा।  गुजरात और हिमाचल, दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार बन गई हालांकी ये अलग बात है की मोदी  की इस आंधी में हिमाचल प्रदेश के बीजेपी के सीएम उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल हार गये , लिहाजा अब पार्टी को किसी दूसरे नेता को सीएम पद के लिए चुनना होगा।  



गुजरात में बीजेपी ने इस बार भले ही 99 सीटों को अपने कब्जे मे किया , लेकिन ये पिछली बार के मुकाबले काफी कम है।  साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को 115 सीटों पर जीत मिली थी , जबकी कांग्रेस 61 सीटों पर ही सिमट कर रह गई।  लेकिन  इस बार कांग्रेस ने अपनी सीटों में बढ़ोत्तरी कर इसे 80 तक खींच लाई है।  जिसके कारण भले ही बीजेपी को सत्ता मिली हो ,लेकिन गुजरात की चुनावी लड़ाई ने अब राहुल गांधी को भी एक मंच दे दिया है।  


गुजरात चुनाव के परिणाम ने किसी को भी खाली हाथ नही रखा, नोटा को भी नहीं, जी हां , जिस राज्य में बीजेपी और कांग्रेस जमकर प्रचार कर रही हो, देशभर की मीडिया अपना जमावड़ा जमाए रखे हो, राजनीतिक गुरु लगातार अपना ज्ञान बांट रहे हो भला उस राज्य में 5 लाख से भी ज्यादा लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया, अगर नोटा के इन वोटों को गिना जाए तो गुजरात में हुए मतदान की तुलना में इस कम से कम 15 से 20 सीट मान सकते है, लेकिन इन सभी लोगों ने ना ही तो बीजेपी को वोट दिया और ना ही कांग्रेस और ना ही किसी भी निर्दलिय उम्मीदवार को।  आखिर क्या वजह है इसकी। हालांकी ये अलग बात है की 1995 के बाद से पहली बार राज्य को एक मजबूत विपक्ष मिला है।  


गुजरात चुनाव में बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कैबिनेट मंत्रियों के साथ - साथ देश के अलग अलग राज्यों के अपने पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओ को भी गुजरात में पार्टी प्रचार के लिए भेजा था। कुछ ऐसा ही कांग्रेस नें भी किया। शहरी इलाको में जहां बीजेपी आगे दिखाई दी तो वही ग्रामीण इलाको में कांग्रेस ने अपना दबदबा बनाया।  


राज्यसभा सदस्य के चुनाव के पार्टी छोड़नेवाले 6 विधायको में से चार की हुई हार

गुजरात राज्यसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस छोड़ भाजपा में जानेवाल 6 में से 5 विधायकों को भाजपा ने मैदान में उतारा, लेकिन एक को छोड़ सभी कांग्रेस उम्मीदवारों से हार गए। जी हां, यानी की यहां भी मोदी लहर काम ना आई।  



12 सीटों पर 3000 से भी कम वोटो से जीती बीजेपी

इस बार के गुजरात चुनाव परिणाम में 12 ऐसी सीटें है जहां बीजेपी के उम्मीदवार कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी या निर्दलिय उम्मीदवारो से 3000 के भी कम वोटों के मार्जिन से जीते है।  लिहाजा इन सीटों पर अलग मतदाताओं ने जरा भी  पलटी मारी होती तो नजीते कुछ और ही होते।


प्रधानमंत्री मोदी के गृहनगर वडनगर में हारी बीजेपी

मेहसाणा जिले की दो विधानसभाओं की सीट पर बीजेपी को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा। ऊंझा विधानसभा और बेचराजी विधानसभा पर बीजेपी को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा। ऊंझा विधानसभा मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृहनगर वडनगर भी आता है। ऊंझा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार आशा पटेल ने भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा विधायक नारायण पटेल को 19000 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया।



कांग्रेस वोटों को नहीं खींच पाई अपने पास

भले ही कांग्रेस ने इस चुनाव में ज्यादा सीटें हासिल की हो लेकिन राज्य में जीएसटी, नोटबंदी और पटेल आरक्षण के मुद्दे पर वो लोगों को अपने साथ लाने में सफल नहीं हो पाई। पांच लाख से भी ज्यादा लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया,  अगर कांग्रेस इन वोटों को अपनी ओर खिंच लेती तो शायद गुजरात में उसकी सत्ता बन जाती , जो कांग्रेस नहीं कर पाई और इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी के आक्रामक प्रचार के  सामने कांग्रेस का कोई भी दिग्गज नेता टिक नहीं पाया।  


गुजरात ने बीजेपी को दी हिदायत

दरअसल गुजरात में जीत का मतलब पार्टी को विचार विमर्श करके निकालना चाहिए, भले ही गुजरात के लोगों ने इस बार बीजेपी को सत्ता दे दी , लेकिन इस बार कम मिले सीट के साथ लोगोॆ ने ये भी हिदायत दी है की अभी मोदी सरकार को और काम करने की आवश्यकता है। और इन कार्यों पर सही तरह से नजर बनाएं रखने के लिए गुजरात के लोगों ने एक मजबूत विपक्ष भी दिया। शायद यही वजह है की अपने विजय भाषण में भी  मोदी ने कहा की जो हुआ शो हुआ लेकिन इसके बाद एक भी गुजराती अलग नहीं होना चाहिए ।


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