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जन्मदिन विशेष- कैंसर को मात देने वाले शरद पवार चाहते थे एक ही बच्चा !

शरद पवार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शादी से पहले उन्होंने अपनी पत्नी प्रतिभा पवार के सामने एक ही संतान पैदा करने की शर्त रखी थी। फिर चाहे वह लड़का हो या फिर लड़की।

जन्मदिन विशेष- कैंसर को मात देने वाले शरद पवार चाहते थे एक ही बच्चा !
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एनसीपी प्रमुख शरद पवार आज 77वें साल के हो गए है। शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को महाराष्ट्र के बारामती जिले में हुआ था। शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनिती के साथ साथ देश की राजनिती में भी एक कद्दावर नेता माना जाता है।  देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो शरद पवार को अपना राजनीतिक गुरु भी बता दिया है।महाराष्ट्र के सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री रह चुके शरद पवार जीतना राजनीति में सक्रिय है उतना ही वह अपने परिवार को लेकर भी रहते है क्या आपको शरद पवार के बारे में कुछ ऐसी जानकारी पता है जो काफी कम लोगों को ही पता है।  


कैंसर को दी मात

शरद पवार को साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान कैंसर के बारे में पता चला। एक कार्यक्रम में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बताया की  जब उन्हे कैंसर के बारे में पता चला तो इसका इलाज कराने के लिए अमेरीका के न्यूयॉर्क चले गए, लेकिन उन्हे न्यूयॉर्क के डॉक्टरों ने भारत के ही डॉक्टरो के पास जाने को कहा।  एग्रीकल्चर मिनिस्टर रहने के दौरान 36 बार रेडिएशन का ट्रीटमेंट लेना था।




ऑफिस के बाद कराते थे कीमोथेरेपी

एग्रीकल्चर मिनिस्टर रहने शरद पवार  सुबह 9 से 2 बजे तक  मिनिस्ट्री में काम करते। जिसके बाद 2.30 बजे बाद वह अपोलो हॉस्पिटल में जाकर कीमोथेरेपी का इलाज कराते थे। इस पूरे इलाज के दौरान उन्हे इतना दर्द होता था की इलाज के बाद वह घर पर जाकर सो जाते थे।  


डॉक्टर ने कहा था सिर्फ 6 महीनों का है समय  

एक डॉक्टर ने इलाज के दौरान शरद पवार से कहा था की वह अपने सारे जरुरी काम निपटा ले, उनके पास सिर्फ 6 महीनों तक का ही समय है।  जिसपर शरद पवार ने डॉक्टर को कहा की मैं बीमारी की चिंता नहीं करता, आप भी मत करो।


एक बच्चे से ही थे खुश

शरद पवार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शादी से पहले उन्होंने अपनी पत्नी प्रतिभा पवार के सामने एक ही संतान पैदा करने की शर्त रखी थी। फिर चाहे वह लड़का हो या फिर लड़की।  30 जून 1969 को पुणे में सुप्रिया का जन्म हुआ।  


लड़की -लड़का में कभी नहीं किया फर्क

शरद पवार एक ही बच्चा चाहते थे,  सुप्रीया सुले के पैदा होने के बाद कभी भी सुप्रीया को किसी भी फैसले के लिए नहीं रोका। सुप्रिया को बचपन से ही अपने फैसले खुद लेने की आजादी मिली।  परिवार की ओर से सुप्रीया पर  शिक्षा हो या शादी या कोई और चीज, कभी भी कोई दबाव नहीं बनाया गया।  


(नोट- ये सारी जानकारियां अलग अलग माध्यमों से एकत्रित की गई है)

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