नई शिक्षा नीति को लेकर देश में दक्षिणी हिस्से में इसका जमकर विरोध हो रहा है। दक्षिण भारत के कई नेताओं का कहना है की नई शिक्षा निती में हिंदी को जबरन लोगों पर थोपा जा रहा है जो सही नहीं है और इसका दक्षिण की लगभग सभी राज्य स्तरीय पार्टियों ने इसका विरोध किया है। तामिलनाडू में जमकर इसका विरोध किया जा रहा है। तो वही अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने भी इसका विरोध करना शुरु कर दिया है।
"हिंदी ही राष्ट्रभाषा नाही. उगाच ती लादून आमची माथी भडकावू नका." - मनसे नेते अनिल शिदोरे#HindiImposition pic.twitter.com/wxja0RpCBT
— MNS Adhikrut (@mnsadhikrut) June 2, 2019
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अनिल शिदोरे का कहना है की हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं है और इसे हमारे माथे पर ना थोपा जाए। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के नेता अनिल शिदोरे ने कहा, "हिंदी एक राष्ट्रीय भाषा नहीं है, इसे हमारे माथे पर मत थोपो." यह ट्वीट मराठी भाषा में किया गया। , सरकार द्वारा पेश नई शिक्षा नीति के मसौदे में गैर-हिंदीभाषी राज्यों में हिंदी पढ़ाए जाने के प्रस्ताव का दक्षिण भारतीय राज्यों में विरोध हो रहा है।
क्या है मामला
सरकार को नई शिक्षा नीती के एक रिपोर्ट मिली है। इस मसौदे में कहा गया है कि छोटे बच्चों की सीखने की क्षमताओं को पोषित करने के लिये प्री स्कूल और ग्रेड 1 से ही तीन भाषाओं से अवगत कराना शुरू किया जाए ताकि ग्रेड 3 तक आते आते बच्चे न केवल इन भाषाओं में बोलने लगे बल्कि लिपि भी पहचानने लगे और बुनियादी सामग्री पढ़ने लगे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की बहुभाषी देश में बहुभाषिक क्षमताओं के विकास और उन्हें बढ़ावा देने के लिये त्रिभाषा फॉर्मूले को अमल में लाया जाना चाहिए ।
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