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उर्मिला मतोंडकर को प्रवेश देकर शिवसेना ने साधे कई निशाने

किसी समय कांग्रेस में रह चुकी उर्मिला मातोंडकर ने उस वक्त एक कार्यक्रम में साफ तौर पर कहा था कि शिवसेना ने मुंबई को बर्बाद कर दिया

उर्मिला मतोंडकर को प्रवेश देकर शिवसेना ने साधे कई निशाने
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महाराष्ट्र (Maharashtra) को शिवसेना (shiv sena) के हिंदुत्व पर बड़ा नाज था। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे (bal thackeray) जब बोलते थे, तो उनकी आवाज की खनक बहुत दूर पहुचंती थी लेकिन अब वैसी शिवसेना नहीं रही, जो शिवसेना बाल ठाकरे के समय थी। समय बदल गया, परिस्थितियां बदल गई और उसी तरह के अनुरूप शिवसेना भी बदल गई। पिछले दिनों सिने अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर (urmila matondkar) ने मातोश्री (matoshree) जाकर शिवबंधन बांधा और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में शिवसेना में प्रवेश किया। किसी समय कांग्रेस (congress) में रह चुकी उर्मिला मातोंडकर ने उस वक्त एक कार्यक्रम में साफ तौर पर कहा था कि शिवसेना ने मुंबई को बर्बाद कर दिया और आज शिवसेना की मजबूरी यह है कि शिवसेना के किसी भी नेता ने उर्मिला को शिवसेना में शामिल करते वक्त यह कहने का साहस नहीं जुटाया कि अरे, इसी उर्मिला मातोंडकर ने भरी सभा में शिवसेना पर यह दाग लगाया था कि शिवसेना ने मुंबई को बर्बाद कर दिया। वैचारिक रूप से शिवसेना का इतना पतन होगा, इस बात की शायद ही किसी ने विचार किया होगा।

कांग्रेस छोड़ने के 14 माह बाद उर्मिला मातोंडकर ने शिवसेना में प्रवेश किया। वैसे आज की तारीख में शिवसेना, राकांपा (ncp) तथा कांग्रेस में से किसी भी शामिल होने पर कोई फर्क नहीं पड़ता। जब सत्ता के लिए विचारों की बलि दे दी जाए तो कहने वाले तो यही कहेंगे कि जिन्होंने सत्ता के लिए अपने सिद्दांत छोड़ दिए, उनके बारे में क्या कहा जाए। जहां तक उर्मिला का शिवसेना में प्रवेश का सवाल है, इस बारे यह कहना गलत नहीं होगा कि शिवसेना ने उर्मिला मातोंडकर के माध्यम से हिंदु, मुस्लिम, कांग्रेसी विचारधारा वाले उर्मिला समर्थकों के साथ-साथ फिल्मी दुनिया के लोगों का भी शिवसेना में प्रवेश हो गया है। उर्मिला अकेली ही शिवसेना में नहीं आई हैं, बल्कि वे कौमी एकता की प्रतीक बनकर शिवेसना में आयी हैं। उर्मिला मातोंडकर हिंदु परिवार से हैं, उन्होंने मुस्लिम युवक से विवाह किया है, उनके फिल्मी दुनिया से भी अच्छे संबंध हैं। कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं से उनके अच्छे रिश्ते हैं, इस तरह से उर्मिला के साथ कई समाज, अनेक क्षेत्रों के लोगों समेत अनेक विचारों का एक सथा शिवसेना में प्रवेश हुआ है।  

सबसे बड़ी बात है कि उर्मिला मातोंडकर के माध्यम से शिवसेना ने यह भी बताने की कोशिश की है कि वह अभी भी मराठी माणुस, मराठी अस्मिता से दूर नहीं हुई हैं। उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि वे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कोरोना काल में किए गए अच्छे काम से प्रभावित होकर शिवसेना में आई हैं। जो लोग उर्मिला मातोंडकर के शिवसेना प्रवेश पर सवाल उठा रहे हैं, वे यह जानना चाहते हैं कि उर्मिला मातोंडकर ने एक हिंदू बेटी के रूप में शिवसेना में प्रवेश किया है या एक मुस्लिम बहु के रूप में, सभी के अपने-अपने तर्क हैं। वर्तमान में महाविकास आघाडी (mva) की सरकार में शिवसेना के साथ कांग्रेस भी हैं, ऐसे में उर्मिला मातोंडकर को शिवसेना में जाने पर कोई नया माहौल देखने को नहीं मिलेगा, वे शिवसेना के झंडे के नीचे खड़ी होकर कांग्रेस के नेताओं से भी बेहिचक बात कर सकेंगी, उन्हें इस बात को कोई भय नहीं होगा कि वे शिवसेना में रहते हुए कांग्रेस के किसी नेता से बात नहीं कर सकती हैं। 

एक वर्ष पहले कांग्रेस की ओर से लोकसभा चुनावी जंग में उतरी उर्मिला मातोंडकर को हार का सामना करना पड़ा था। उर्मिला मातोंडकर ने एक ऐसे समय में शिवसेना में प्रवेश किया है, जिस वक्त राज्य में एक अलग ही तरह की राजनीति चल रही है। विधान परिषद पर राज्यपाल नामांकित सदस्य के रूप में राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने जिन 12 लोगों के नाम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (bhagat singh koshyari) को दिए थें, उनमें उर्मिला मातोंडकर का नाम भी था। उर्मिला के शिवसेना में प्रवेश पर न तो मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम (sanjay nirupam) ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की है और न ही मिलिंद देवरा (milind deora) या किसी इन्य कांग्रेसी नेता ने, हां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरात (balasaheb throat) ने इतना जरूर कहा कि उर्मिला मातोंडकर भले ही कांग्रेस में नहीं है, लेकिन वे महाविकास आघाड़ी का हिस्सा जरूर हैं, इसलिए उन्हें कांग्रेस से अलग कहना ठीक नहीं है। 

उर्मिला की भाषा, वेशभूषा तो अच्छी है ही, साथ ही उनमें भाषण देने की कुशलता भी है, इतना ही नहीं उर्मिला मातोंडकर को राजनीतिक तथा सामाजिक दोनों की अच्छी जानकारी है। उर्मिला मातोंडकर को सुंस्कृत समाज का हिस्सा बताने वाले लोगों की भी कमी नहीं है। उर्मिला मातोंडकर को कांग्रेस तथा शिवसेना दोनों भाजपा के खिलाफ उपयोग में लाने में कोई हिचक महसूस नहीं करेंगे। उर्मिला मातोंडकर ने कांग्रेस पार्टी से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें भाजपा के उम्मीदवार गोपाल शेट्टी को पराजित कर दिया। चुनाव में पराजित होने के बाद उर्मिला मातोंडकर कुछ समय तक राजनीति से दूर रहीं और उसके बाद कांग्रेस के अंदरूनी कलह से परेशान होकर कांग्रेस छोड़ दी। 

शिवसेना में प्रवेश करके शिवबंधन बांधने के बाद उर्मिला मातोंडकर को राज्यपाल मनोनीत विधायकों में शिवसेना की ओर से उर्मिला मातोंडकर के नाम की शिफारिस की गई। शिवसेना में प्रवेश करने के बाद उर्मिला मातोंडकर ने कहा कि शिवसेना में प्रवेश करने से पहले मुझे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फोन किया था, उस वक्त उन्होंने बहुत ही सुंदर बात  कही कि महाराष्ट्र की परंपरा इतनी बड़ी है कि उसके बाद विधान परिषद के सांस्कृतिक तथा सामाजिक दर्जा बढ़ाया है। उर्मिला मातोंडकर ने कहा कि राज्यपाल मनोनीत जगह के लिए मेरा नाम सुझाया जाना, यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है, पर मैं शिवसैनिक के रूप में काम करुंगी। उर्मिला मातोंडकर ने कहा कि मुझे किसी भी पद की कामना नहीं है। उर्मिला ने यह भी साफ किया कि मेरा शिवसेना में प्रवेश करने पर किसी का भी दबाव नहीं था, मुझे शिवसेना के लिए काम करने की इच्छा थी, इसलिए मैंने शिवसेना में प्रवेश किया। उर्मिला मातोडकर ने यह भी साफ किया कि मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट में बहुत अच्छा काम किया है, इसलिए मैंने शिवसेना में प्रवेश किया है। 

प्रख्यात अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर के शिवसेना में प्रवेश को लेकर पिछले कई दिनों में चर्चाएं जारी थी और 1 दिसंबर को  शिवसेना में प्रवेश कर उन्होंने सभी अटकलों पर विराम लगा दिया।  लकड़ी की काठी, काठी पर घोड़ा कहते हुए हिंदी फिल्म में अभियन का शुरु यात्रा की। उर्मिला मातोंडकर राजनीति छोड़ने के बाद भी सोशल मीडिया के माध्यम से मातोंडकर सक्रिय रही। शिवसेना ने जिस उद्देश्य को सामने रखकर उर्मिला मातोंडकर को पार्टी में शामिल में किया है, क्या वह उद्देस्य पूरा होगा, यह तो भविष्य ही तय बताएगा। उर्मिला मतोंडकर ने शिवसेना में लंबे समय तक टिकी रहेंगी या फिर कांग्रेस की तरह ही उन्हें किसी दूसरे राजनीतिक कुनबे का सहारा लेना पडेगा, यह जानने के लिए अभी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी।

(Note : यह लेखक के अपने विचार हैं।)

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