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महाराष्ट्र में कांग्रेस ,एनसीपी, शिवसेना और बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकता है थर्ड फ्रंट!

लोकसभा चुनाव में जो पार्टी अपना दमखम दिखाएगा , होनेवाले विधानसभा चुनाव में वह पार्टी उतनी ही ज्यादा सीटों की मांग कर पाएंगी।

महाराष्ट्र में कांग्रेस ,एनसीपी, शिवसेना और बीजेपी के लिए मुसीबत बन सकता है थर्ड फ्रंट!
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भले ही लोकसभा चुनाव के तारीखों के ऐलान में अभी थोड़ा वक्त बचा हो , लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने अभी से ही चुनाव के लिए तैयारियां शुरु कर दी है। जहां एक ओर कांग्रेस -एनसीपी में महाराष्ट्र को लेकर लोकसभा सीटों के बंटवारें पर बात बनकती दिख रही है तो वही दूसरी ओर शिवसेना और बीजेपी में भी गाड़े बगाहे गठबंधन के बात की चर्चाओं की खबरें आती रहती है। लेकिन इन चारों पार्टियों के अलवा इस बार होने वाले लोकसभा चुनाव में कई छोटी पार्टियां भी अहम रोल अदा कर सकती है। भले ही महाराष्ट्र में कांग्रेस -एनसीपी और शिवसेना-बीजेपी के बारे में ही बात हो रही है, लेकिन कही ना कही राज ठाकरे की मनसे , राजु शेट्टी की शेतकरी संगठना और बच्चू कड़ू की प्रहार संगठना इस बार के चुनाव में कम से कम महाराष्ट्र में तो असर डालती दिख रही है।

गुरुवार को आम आदमी पार्टी ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के लिए 12 पार्टियों के साथ गठबंधन का एलान किया। इस गठबंदन में से एक नाम ऐसा है जो महाराष्ट्र की राजनीति में काफी महत्तव रखता है। विदर्भ इलाके से निर्दलिय विधायक बच्चू कडू इस गठबंधन का हिस्सा होंगे । बच्चू कडू का विदर्भ इलाके में अच्छा खासा दबदबा माना जाता है। बच्चू कडू के संगठन के अलावा 11 अन्य पार्टियों ने भी इस गठबंध को समर्थ दिया है। इसके साथ ही आम आदमी पार्टी का कहना है की वो सांसद राजू शेट्टी के साथ भी बातचीत कर रहे है। ऐसे में सांसद राजू सेट्टी भी इस गठबंधन में शामिल हो जाते है तो यह फ्रंट महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाको में सभी कांग्रेस बीजेपी के साथ साथ एनसीपी और शिवसेना के लिए भी समस्या खड़ा कर सकता है।

साल 2006 में शिवसेना से अलग होने के बाद राज ठाकरे ने महाराष्ट्र नवनिर्माण पार्टी की स्थापना की थी , जिसके बाद साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र कांग्रेस को इसका फायदा हुआ था , क्योकी महाराष्ट्र नवनिर्माण की स्थापना के बाद शिवसेना का मजबूट वोट बैंक मानेजानेवाल मराठी माणूस धीरे धीरे मनसे की ओर जाने लगा , जिसका सीधा फायदा कांग्रेस एनसीपी गठबंधन को मिला। हालांकी बार के लोकसभा चुनाव में मनसे , एनसीपी के कोटे से सींट मांगती दिख रही है। हालांकी मनसे की ओर से अभी तक एनसीपी के साथ किसी भी तरह की बातचीत को लेकर कोई भी आधिकारिक पुष्टी होती नहीं दिख रही है।

जांएक ओर मनसे , कांग्रेस और एनसीपी के पाले में जाती दिख रही है तो वही दूसरी ओर नारायण राणे की पार्टी स्वाभिमान पक्ष भी बीजेपी के खिलाफ नहीं जा सकती है। जिसके बाद से राज्य में बाकी बची अन्य छोड़ी बड़ी पार्टियां एक अलग ही गठबंधन बना सकती है।

दरअसल इस बार के लोकसभा चुनाव में दोनों ही राष्ट्रीय पार्टी , कांग्रेस और बीजेपी को मालूम है की राज्यस्तरीय पार्टीयां अपना कमाल दिखा सकती है। इस बार के लोकसभा चुनाव में छोटी छोटी पार्टियां भी वोटो को अलग अलग थलग कर सकती है , इसलिए कांग्रेस और बीजेपी , राज्यस्तरिय पार्टियों को अपने पाले में लाने में लगे हुए है। ऐसे में वह सारी छोटी छोटी पार्टियां जिनका ना तो बीजेपी के साथ तालमेल है और वह ना ही काग्रेस को पसंद करते है, ऐसी पार्टी एक साथ आकर हर राज्य में एक छोटा छोटा गठबंधन कर सकती है , जिससे वोटों को इन दोनों पार्टियों के पास जाने से रोका जा सके।

मौजूदा समय में महाराष्ट्र की राजनीति में भारीप के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर भी एक शक्ति के रुप मे उभरे है। महाराष्ट्र में हुए भीमा कोगेगांव हिंसा के बाद प्रकाश आंबेडकर ने अपनी राजनीति शक्ती का परिचय दिया। प्रकाश आंबेडकर ने भी महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, हालांकी अभी तक कांग्रेस उन्हे अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है।

महाराष्ट्र में इस बारे के होनेवाले लोकसभा चुनाव काफी अहम है , इसी साल नवंबर में महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। अगल लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग अलग होते है तो लोकसभा चुनाव में जो पार्टी अपना दमखम दिखाएगा , होनेवाले विधानसभा चुनाव में वह पार्टी उतनी ही ज्यादा सीटों की मांग कर पाएंगी।

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