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बाला साहब के मतदान का अधिकार छीनने वालों के गोद में बैठा है उबाठा- सांसद श्रीकांत शिंदे

लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा के दौरान घेरा उबाठा और कांग्रेस को

बाला साहब के मतदान का अधिकार छीनने वालों के गोद  में  बैठा है उबाठा- सांसद श्रीकांत शिंदे
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शिवसेना संसदीय दल के नेता सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे ने लोकसभा में चुनाव सुधारों पर हुई चर्चा के दौरान उबाठा और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला  उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस ने हिंदुहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे का मतदान अधिकार छीन लिया था आज वही उबाठा कांग्रेस की गोद में बैठी है। डॉ. श्रीकांत शिंदे ने निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस और उबाठा दोनों की राजनीति हमेशा लोकतंत्र-विरोधी रही है। (UBT is sitting in the lap of those who snatched Bala Saheb's voting rights say MP Shrikant Shinde)

कांग्रेस ने देश पर आपातकाल थोपा 

सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे ने आगे अपनी भूमिका रखते हुए कहा कि आज विपक्ष लोकतंत्र बचाओ का नारा लगा रहा है, लेकिन भारत के 75 साल के इतिहास में चुनाव में गड़बड़ी करने के आरोप में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया था और उनका चुनाव रद्द कर दिया था , लेकिन इस फैसले का सम्मान करने के बजाय, कांग्रेस ने देश पर आपातकाल थोप दिया और लोकतंत्र को कलंकित किया। कांग्रेस ने ऐसा कानून भी बनाया कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति को कोर्ट में चुनौती ही नहीं दी जा सके। उन्होंने कहा कि जो लोग सत्ता के लिए संविधान का गला घोंटते रहे, वही आज संविधान की प्रति हाथ में लेकर नैतिकता का ढोंग कर रहे हैं।

बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों पर

डॉ. श्रीकांत शिंदे ने सदन में कहा कि कांग्रेस बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को अपनी वोट बैंक मानकर नीति बनाती है। उन्होंने कहा कि मुंबई में भी रोहिंग्या की संख्या बहुत ज्यादा है और यही कारण है कि कांग्रेस SIR कानून का विरोध कर रही है।

बाला साहब ठाकरे के मतदान का हक छीनने वाले को मंत्री बनाया

श्रीकांत शिंदे ने उबाठा और कांग्रेस को घेरते हुए आगे कहा की कांग्रेस ने बालासाहेब ठाकरे का मतदान अधिकार छीन लिया था , जिस चुनाव आयुक्त एम.एस. गिल ने यह फैसला किया था, कांग्रेस ने बाद में उन्हें केंद्र में मंत्री बनाकर उसका इनाम दिया , लेकिन उबाठा को अब बालासाहेब की याद ही नहीं रही, इसलिए वह आज कांग्रेस के साथ बैठी है। उन्होंने आगे कहा कि चुनाव के समय उबाठा के नेता घरों में बैठे रहे और कार्यकर्ता अकेले संघर्ष करते रहे, इसलिए कई जगह चुनाव बिना मुकाबले हो गए , विपक्ष पर हमला बोलते हुए  आगे कहा की  चुनाव के दौरान विदेश चले जाना और हार के बाद एवीएम और चुनाव आयोग पर आरोप लगाना यह उबाठा की दोहरी राजनीति है।

लोकसभा और विधानसभा के उमीदवार की उम्र 21 साल हो

सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे ने लोकसभा में यह भी कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष के बजाय 21 वर्ष की जानी चाहिए। सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता सूची होनी चाहिए, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का मॉडल जल्द लागू किया जाना चाहिए और प्रवासी मजदूरों के लिए रिमोट वोटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आज पूरी दुनिया भारत को लोकतंत्र की जननी मानती है और इसकी वजह यहाँ की मजबूत चुनाव व्यवस्था है। चुनाव हर पाँच साल में जनता को देश का नेतृत्व चुनने का अधिकार देते हैं। उन्होंने बताया कि अमेरिका में महिलाओं को मतदान का अधिकार देने में १४४  साल लगे, जबकि भारत ने शुरू से ही महिलाओं और पुरुषों दोनों को समान मतदान अधिकार दिया। यह समानता भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। डॉ. शिंदे ने कहा कि भारत में चुनाव अब बैलेट पेपर से एवीएम तक आधुनिक हुए हैं। पहले चुनावों में हिंसा होती थी, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और कश्मीर से लेकर गढ़चिरोली जैसे दूर-दराज़ इलाकों तक रिकॉर्ड मतदान दर्ज हो रहा है।

कांग्रेस ने मतचोरी करके डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की हार कराई

सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे ने कहा कि देश की पहली ही आम चुनाव में पंडित नेहरू ने जनता के भरोसे को तोड़ने का काम किया। संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को संसद से दूर रखने की कोशिश कांग्रेस ने की थी।

१९५२ के लोकसभा चुनाव में पंडित नेहरू ने खुद बाबासाहेब के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा किया था। जब यह साफ हो गया कि बाबासाहेब चुनाव जीत रहे हैं, तब कांग्रेस ने ७४,३३३ वोट अवैध घोषित कर दिए। इसी वजह से उस चुनाव में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को १४००० वोटों से हार का सामना करना पड़ा। डॉ.  श्रीकांत शिंदे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने तभी से मतचोरी की राजनीति शुरू की थी।

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