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...तो 20 अप्रैल से 15 लाख मजदूर लौटेंगे काम पर!


...तो 20 अप्रैल से 15 लाख मजदूर लौटेंगे काम पर!
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केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों कहा गया है कि, जिन इलाकों में कोरोना के कोई भी मरीज या संदिग्ध नहीं मिलते हैं तो ऐसे इलाकों में 20 अप्रैल से लॉकडाउन में ढील दी जा सकती है। अगर यह ढील दी जाती है तो कयास लगाए जा रहे हैं कि 20 अप्रैल से करीब 15 लाख मजदूर अपने काम पर लौट सकते हैं। इससे गिरती हुई अर्थव्यवस्था में कुछ जान आ सकती है।

कोरोना से प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र देश में सबसे टॉप पर है। इसके साथ ही राज्य में ऐसे कई इलाके हैं जो कोरोना के प्रभाव में नहीं आए हैं, यानी ऐसे इलाके कोरोना से सुरक्षित हैं। तो ऐसे इलाको को 20 अप्रैल से लॉकडाउन में छूट दी जा सकती है। छूट के दौरान यहां रहने वाले नागरिकों को काम पर जाने की अनुमति दी जा सकती है।

जल संसाधन विभाग के सचिव आई.एस चहल ने कहा कि महाराष्ट्र के 15,700 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जो कि सिंचाई क्षेत्र से जुड़े हैं उन्हीं को  काम पर वापस जाने की अनुमति दी जा सकती है। पूरे महाराष्ट्र में कुल 313 चालू सिंचाई परियोजनाएँ हैं और इन स्थानों पर 20 अप्रैल से काम शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।

कृषि सचिव एकनाथ दावाले ने उल्लेख किया कि 24 मार्च को लॉकडाउन के बाद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी के तहत काम करने वाले मजदूरों को भी कम करने से रोक दिया गया था। उनका कहना है कि चूंकि 20 अप्रैल से प्रतिबंधों में ढील दी जा सकती है, इसलिए 2.6 लाख श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान कर सकता है। जबकि अभी कुल 44,598 कार्य लंबित पड़े हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि, अभी तक हमारा ध्यान सड़कों के चौड़ीकरण और कुओं के गहरीकरण करने जैसे छोटे मोटे कामों तक ही सीमित था, लेकिन अब सरकार सिंचाई सुविधाओं और भूमिगत जल स्रोत को बढ़ाने पर भी जोर दे रही है।

अधिकारी ने आगे कहा, तय मानदंडों में छूट मिलने से सबसे बड़ा फायदा निर्माण इंडस्ट्री, लघु उद्योग और कृषि क्षेत्र के लिए होगा।  

अधिकारी ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि 20 अप्रैल से अधिकांश काम फिर से शुरू हो जाएंगे। हम उम्मीद करते हैं कि कृषि क्षेत्र में पांच लाख लोगों को काम मिलेगा।

बताया जाता है कि महाराष्ट्र में कुल 12 लाख दैनिक वेतन भोगी हैं, जिनमें से 10 लाख को 20 अप्रैल को काम पर वापस मिलने की उम्मीद है। इनमें से 5 लाख श्रमिक लोक निर्माण विभाग या पीडब्ल्यूडी विभाग से जुड़े हुए हैं।

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