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महाराष्ट्र राजनीति 2020 के 20 चर्चित चेहरे, जो रहे सुर्खियों में

कोरोना (Coronavirus) के कहर के बीच 2020 में राज्य के राजनीतिक गलियारे में अनेक घटनाएं हुईं। महाराष्ट्र में 2020 में वैसे तो बहुत से राजनेता चर्चाओं में रहे, उनमें से 20 चर्चित राजनेताओं का यहां उल्लेख किया जा रहा है।

महाराष्ट्र राजनीति 2020 के 20 चर्चित चेहरे, जो रहे सुर्खियों में
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वर्ष 2019 के समाप्त होने के बाद वर्ष 2020 का स्वागत किया गया, लेकिन साल शुरु होते ही कोरोना (Covid19 pandemic) नामक महामारी ने कोहराम मचाया। इस कोहराम ने देश के अन्य राज्यों की महाराष्ट्र (Maharashtra) में भी हलचल मचायी। कोरोना (Coronavirus) के कहर के बीच 2020 में राज्य के राजनीतिक गलियारे में अनेक घटनाएं हुईं। महाराष्ट्र में 2020 में वैसे तो बहुत से राजनेता चर्चाओं में रहे, उनमें से 20 चर्चित राजनेताओं का यहां उल्लेख किया जा रहा है। 

1) शरद पवार (राकांपा सुप्रीमों)- राज्य में नए राजनीतिक समीकरण सामने लाकर महाविकास आघाडी की सरकार को अस्तित्व में लाने वाले राकांपा सुप्रीमों शरद पवार (ncp chief sharad pawar) का राज्य सरकार पर दबदबा पहले की तरह 2020 में भी बरकरार रहा। कोरोना काल में जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) पर यह आरोप लगने लगे कि वे भी कहीं जाते ही नहीं, अपने घर में बैठे रहते हैं तो शरद पवार ने सफाई दी उद्धव जी घर से सरकार चला रहे हैं और मैं बाहर से सरकार का कामकाज देख रहा हूं। शरद पवार जिन्हें राज्य सरकार का पितामह कहा जाता है, उन्हें राज्य के लोगों ने सुपर मुख्यमंत्री की तरह देखा। 

2) उद्धव ठाकरे (मुख्यमंत्री)- राज्य में सत्तारूढ़ महाविकास आघाडी की सरकार ने 29 नवंबर, 2019 को कामकाज संभाला। सरकार बनने और मंत्रिमंडल गठित होने में हुई खींचतान के बाद जब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (cm uddhav thackeray) ने कामकाज शुरु किया तो राज्य की जनता को लगा था कि यह सरकार अच्छा काम करेगी। जनादेश के विरोध में जाकर सरकार बनाने वाले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की सरकार पर कोरोना कहर बहुत भारी पड़ा। राजनीतिक अनुभव न होने के कारण उद्धव ठाकरे कोरोना नामक महामारी का सामना कैसे किया जाए, इसे लेकर परेशान हो गए। लॉकडाउन (lockdown) में खुद को कैद करके सरकार चला रहे उद्धव ठाकरे की सरकार का दावा भले ही यह रहा हो कि उसने कोरोना की स्थिति में अच्छा काम किया लेकिन विपक्ष का आरोप यह है कि उद्धव ठाकरे ने एक कमजोर मुख्यमंत्री की तरह ही काम किया है। 

3) नाना पटोले (विधानसभा अध्यक्ष)- राज्य सरकार में कांग्रेस खेमे से शामिल नाना पटोले (nana patole) ने विधानसभा अध्यक्ष के पद पर बेहरतीन काम किया। राज्य विधानसभा के अधिवेशन दौरान नाना पटोले ने सरकार तथा विपक्ष के बीच जिस तरह का समन्वय दिखाया, वह चर्चाएं पाता रहा। विदर्भ के भंडारा जिले के लाखनी विधानसभा क्षेत्र से निर्वार्चित नाना पटोले ने सत्र के दौरान विधानसभा में विरोध पक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) की आक्रमकता को शांत करने में अहम भूमिका अदा की है। 

4) अनिल देशमुख (गृहंमत्री)- राज्य सरकार में गृहमंत्री की भूमिका निभा रहे गृहमंत्री अनिल देशमुख (home minister anil deshmukh) ने कोरोना काल में बहुत अच्छा काम किया,ऐसा दावा सरकार की ओर से किया गया। कोरोना महामारी के कारण की गई तालाबंदी के कारण प्रवासी मजदूरों का घर वापसी में गृह मंत्री द्वारा बनायी गई रणनीति बहुत अच्छी रही। यह अलग बात है कि गलत जानकारी पर हजारों की संख्या में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश समेत अन्य प्रांतों के लोग तालाबंदी (lockdown) में भी बांद्रा टर्मिनस पर एकत्र हुए। पालघर में दो साधुओं की मौत के मामले पर भी गृहमंत्री पर सवाल उठे थे। 

5) अजित पवार (उपमुख्यमंत्री)- शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस इन तीन दलों की साझा सरकार में मुख्यमंत्री से ज्यादा तो उपमुख्यमंत्री अजित पवार (ajit pawar) सक्रिय रहते हैं। जिस वक्त सरकार का गठन हुआ था, उस वक्त सरकार में शामिल न होकर संदेह खड़ा करने वाले अजित पवार बाद में महाविकास आघाडी सरकार में उपमुख्यमंत्री पद बने। यह पद कुछ दिनों तक खाली ही रखा गया था। अजित पवार के बारे में यह कहा जाता है कि ये कभी-भी पाला बदल सकते हैं। 

6) देवेंद्र फडणवीस (विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता)- 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा-शिवसेना को स्पष्ट बहुमत मिलने के बाद लगभग तय माना जा रहा था कि देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) ही राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में फिर शपथ लेंगे, लेकिन उस वक्त शिवसेना ने अपना मुख्यमंत्री बनाने की जिद्द ठान ली। भाजपा ने शिवसेना की इस जिद्द को स्वीकार नहीं किया। उसके बाद शिवसेना ने राकांपा- कांग्रेस की मदद लेकर सरकार बनायी। जनादेश का अनादर करके बनायी गई सरकार को देवेंद्र फडणवीस ने बेईमान सरकार करार दे दिया और सरकार के कामकाज पर नज़र रखी। 

7) राजेश टोपे (स्वास्थ्य मंत्री)- कोरोना काल में राज्य  के स्वास्थ्य मंत्री के रूप में शिवसेना के नेता राजेश टोपे (health minister rajesh tope) ने बहुत अच्चा काम किया। सरकार का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री ने कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए। हद दिन मुख्यमंत्री को रिपोर्ट देकर कोरोना को कैसे नियंत्रित किया जाए इस पर वे लगातार मंत्रणा भी करते रहते थे। 

8) वर्षा गायकवाड (शिक्षा मंत्री)- कांग्रेस कोटे से सरकार में शामिल वर्षा गायकवाड (varsha gaikwad) ने राज्य में स्कूलों को जल्दी खुलवाने की जगह बच्चों की सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया। कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली को कैसे हकीकत के धरातल पर लाया जा सकता है, इस बारे में उनकी मुख्यमंत्री से मंत्रणा सदैव होती रही। 2020 में बदली शिक्षा पद्धति के बीच वर्षा गायकवाड के कार्यों की ओर से जहां एक ओर सराहना की गई तो वहीं दूसरी विपक्ष की ओर से शिक्षा संस्थाओं को खोलने के संदर्भ में बार-बार निर्णय बदलने के मुद्दे पर जहां एक शिक्षा मंत्री को आड़े हाथ लिया गया, वहीं दूसरी ओर सरकार की भी किरकिरी हुई। 

9) यशोमति ठाकुर ( बाल एवं परिवार कल्याण मंत्री)- राज्य मंत्रिमंडल में बाल एवं परिवार कल्याण मंत्री के रूप में शामिल यशोमति ठाकुर (yashomati thakur) में ट्राफिक पुलिस से साथ मारपीट का मामला 2020 की घटनाओं के केंद्र में रहा। इस मामले में यशोमति ठाकुर को क्लीन चिट देने पर विपक्ष ने बखेड़ा खड़ा किया। सरकार का इस मुद्दे पर मौन रहना भी चर्चा का विषय बना। इस मामले में विपक्ष ने कुछ दिनों तक हो हंगामा मचाया और फिर धीरे-धीरे मामला शांत हो गया।

10) सुप्रिया सुले (राकांपा सांसद)- राकापां सुप्रिमो शरद पवार की सुपुत्री तथा बारामती से सांसद सुप्रिया सुले (supriya sule) का नाम भी 2020 के 20 चर्चित चेहरों में इसलिए शामिल करना जरूरी है, क्योंकि पिछले दिनों यह चर्चा में आई थी कि शरद पवार अपनी सुपुत्री सुप्रिया सुले को महाराष्ट्र की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। क्या उद्धव ठाकरे तथा अजित पवार सुप्रिया सुले को मुख्यमंत्री की कुर्सी देने के लिए तैयार होंगी, यह चर्चा भी 2020 की सुर्खियां बनीं। शरद पवार की चाहत पूरी होगी कि नहीं यह तो अभी से बताना मुश्किल है, लेकिन इस बात की चर्चा जरूर हो रही है कि क्या अजित पवार ऐसा होने देंगे। लेकिन 15 वर्ष से ज्यादा समय तक पहले और एक वर्ष एइस तरह 16 वर्ष सत्ता में रहने के बाद भी राकांपा की ओर से एक भी मुख्यमंत्री नहीं बन सका, इसीलिए शरद पवार की चाहत है कि सुप्रिया सुले को राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनाया जाए। 

11) पार्थ पवार (राकांपा नेता)- वर्ष 2020 में राज्य के चर्चित नेताओं में एक नाम पार्थ पवार (parth pawar) का भी रहा। कई मौकों पर पार्थ पवार के बयान ने राकांपा नेताओं की बोलती बंद कर दी। यहां तक शरद पवार भी पार्थ पवार के बयानों से नाखुश दिखे। अजित पवार के पुत्र तथा शरद पवार के नाती पार्थ पवार के बारे में यह चर्चाएं की जाने लगी थीं कि वे राकांपा का दामन छोड़कर भाजपा में जा सकते हैं, लेकिन लगता है कि शरद पवार तथा अजित पवार के समझाने के बाद उन्होंने फिलहाल भाजपा में जाने का इरादा त्याग दिया है। 

12) संजय राऊत (शिवसेना सांसद)- महाविकास आघाडी सरकार के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले संजय राऊत (sanjay raut) वर्ष 2020 में इसलिए खासे चर्चित रहे कि उन्होंने विपक्ष को जबाव देने तथा सरकार की उपलब्धियों गिनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। मुंबई (mumbai) की हालत को पाक अधिकृत काश्मीर कहने पर अभिनेत्री कंगना राणावत (kangana ranaut) के कार्यालय को मनपा के बुलडोजर से गिराने का साहस दिखाने और कंगना को मुंबई आने देने जैसी धमकी देने में शिवसेना सांसद सदा सक्रिय रहे हैं। इसके अलावा शिवसेना के मुख पत्र सामना के माध्यम से अपनी भडास निकालने का काम संजय राऊत ने पहले की तरह इस वर्ष भी किया।

13) एकनाथ खड़से (राकांपा)- लंबे समय तक भाजपा में रहे एकनाथ खड़से (rajnath khadse) ने 2020 में शरद पवार की पार्टी राकांपा के नेता बन गए। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाराजगी के कारण एकनाथ खड़से ने भाजपा को छोड़कर राकांपा की घड़ी को धारण कर लिया। एकनाथ खड़से ने जिस कमल के साथ 2020 का स्वागत किया था, उस कमल को छोड़कर वे घड़ी के साथ चले गए। 

14) पंकजा मुंडे (भाजपा)- एकनाथ खड़से की तरह ही पंकजा मुंडे (pankja munde) भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से प्रसन्न नहीं हैं। कहा जा रहा था कि एकनाथ खड़से के बाद पंकजा मुंडे भी ncp का दामन थाम सकती हैं, लेकिन जब पार्टी के दिल्ली स्थित शीर्ष नेतृत्व को इस बात की जानकारी मिली तो पंकजा मुंडे को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान दिया गया तो पंकजा मुंडे का गुस्सा शांत हुआ। पंकजा मुंडे फिलहाल भाजपा में ही हैं। 

15) नारायण राणे (भाजपा)- दिशा सालियान की मौत मामले में कुछ राजनेताओं का नाम सामने लाने के कारण नारायण राणे (narayan rane) भी 2020 में चर्चित नेताओं की सूची में शामिल रहे। हालांकि नारायण राणे ने भाजपा में प्रवेश करने के बाद बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रहे। फिर भी सुशांत सिंह राजपूत तथा दिशा सालियान (disha saliyan) की मौत के मामले में नारायण राणे ने सरकार की ओर इशारा जरूर किया। 

16) राव साहेब दानवे (केंद्रीय मंत्री)- भाजपा के पूर्व महाराष्ट्र प्रदेशाध्यक्ष राव साहेव दानवे (rav saheb danve) अपने तीक्ष्ण बयानों के कारण चर्चाओं में रहे। दानवे केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं और भाजपा के विरोध में बोलने वाले नेताओं का अच्छी तरह से समाचार लेते हैं। राव साहेब दानवे जब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष थे, उस वक्त भी वे विरोधी दलों की किसी भी टिपप्णी का करारा जबाव देते थे।  

17) उर्मिला मातोंडकर (शिवसेना)- 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस (congress) की टिकट पर उतरीं अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर(urmila matondkar) ने 2020 में शिवबंधन बांधकर शिवसेना (shivsena) में प्रवेश किया। उर्मिला मातोंडकर के शिवसेना में प्रवेश के कई अर्थ निकाले गए। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि शिवसेना उर्मिला मातोंडकर को कौन सी जिम्मेदारी सौंपेगी। कहा जा रहा है कि नए साल में उर्मिला को कोई महत्वपूर्ण पद दिया जा सकता है।

18) विजय वडेट्टीवार (पुनर्वास तथा मदद कार्य मंत्री)- विदर्भ क्षेत्र में आई भयानक बाढ़ के बाद प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके मुख्यमंत्री को वस्तुस्थिति से अवगत कराने में पुर्नवास तथा मदद कार्य मंत्री विजय वेट्टीवार (vijay vadettiwar) की भी गिनती 2020 में सक्रिय मंत्री नेता के रूप में करना गलत नहीं होगा। हालांकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले तथा विधानसभा में विरोधी पक्ष नेता देवेंद्र ने भी किया था, इसलिए सरकार की ओर से बाढ़ प्रभावितों को राहत मदद देने का काम जल्दी से जल्दी पूरा किया गया।  

19) भाई जगताप (मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष)- मुंबई में कांग्रेस की खराब हालत को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने भाई जगताप (bhai jagtap) को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपने का निर्णय भी 2020 के चर्चित खबरों में से एक रही। भाई जगताप एक सौम्य व्यक्तित्व वाले नेता माने जाते हैं। काम में तेजी, पार्टी में एकता स्थापित करके नई ऊर्जा भरने का काम भाई जगताप अच्छी तरह से कर सकते हैं, इसलिए भाई जगताप को मुंबई कांग्रेस की कमान सौंपने का निश्चय किया गया। 2021 में भाई जगताप पर खास नज़र होगी, वे कांग्रेस को कितना मजबूत कर पाते हैं, यह आने वाले समय में सामने ही आएगा।  

20)  राज ठाकरे (मनसे)- 2020 के राजनेताओं की सूची में राज ठाकरे (raj thackeray) का नाम भी शामिल रहा। राज ठाकरे ने कोलियो की मामले को सुलझाने के अलावा अमेजन के मुद्दे को उठाया। हालांकि 2020 में मनसे की विशेष सक्रियता नहीं दिखायी दी। राज ठाकरे की मनसे से भाजपा की निकटता बढ़ रही है, ऐसी चर्चा भी 2020 में खूब हुई। भाजपा तथा शिवसेना की जंग में मनसे ने बहुत ज्यादा ध्यान न देकर दोनों की लड़ाई देखने में ज्यादा रूचि दिखायी है। 2020 में मनसे बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं दिखी, अब देखना यह है कि अगले नए वर्ष 2021 में मनसे तथा राज ठाकरे की महाराष्ट्र की राजनीति में कितनी सक्रियता बढ़ती है।

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