गुरुवार को पाकमौडिया स्ट्रीट में हुसैनीवाली इमारत के ढह जाने के कारण 34 लोगों की मौत हो गई , जिनमें 9 महिलाएं और 24 पुरुष है। तो वही 17 से भी ज्यादा घायलों को अब तक निकाला जा चुका है। हालांकी अब बचावकार्य खत्म हो गया है और एनडीआरएफ की टीम वापस रवाना हो गई है। इलाके में सैफी बुरहानी उत्थान ट्रस्ट भिंडी बाजार के पुनर्विकास का कार्य कर रहै है। जो 16.5 एकड़ में फैला हुआ है। इस परियोजना के तहत, ट्रस्ट 250 जर्जर इमारत , 1250 दुकानें और 3200 परिवारों को स्थानांतरित करनेवाला था , जिनमें से हुसैनीवाला इमारत भी एक थी।
बुहरानी ट्रस्ट को 2011 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) से 'भिंडी बाजार पुनर्विकास' की योजना को मंजूरी मिली थी। साथ ही इमारत को भी जर्जर घोशित किया गया। 2016 में म्हाडा ने बुहरानी ट्रस्ट को म्हाडा ने इमारत को ध्वस्त करने की अनुमति दी , लेकिन बुहरानी ट्रस्ट ने न तो इमारत के निवासियों को इमारत खाली करने के लिए और ना ही इमारत में रहनेवाले लोगों ने इमारत की स्थिती को देखते हुए कोई पुख्ता कदम उठाएं। अब ट्रस्ट पर इस लापरवाही के चलते कई सारे सवाल उठने लगे है।
मुंबई लाइव के पांच सवाल
1. इमारत को जर्जर घोषित करने के 6 साल बाद भी आखिरकार बुहरानी ट्रस्ट नें इस इमारत को खाली क्यों नहीं कराई?
2.आदेश के बाद भी इमारत को ध्वस्त क्यों नहीं किया गया था?
3.म्हाडा ने बुहरानी ट्रस्ट के कार्यों का लेखाजोखा समय पर क्यो नहीं लिया?
4. रहिवासियों ने आखिर इतनी पुरानी और जर्जर इमारत में जान जोखिम में डालकर रहने का फैसला क्यों किया?
5.हादसे के लिए कौन जिम्मेदार, म्हाडा, बुरहानी ट्रस्ट या फिस इमारत के निवासी?
बुरहानी ट्रस्ट को इमारत ध्वस्त करने की कैसे मिली इजाजत
117 साल पुरानी थी हुसैनीवाला इमारत
हुसैनीवाला इमारत छह मंजिला इमारत थी और 117 साल पुरानी थी। इस इमारत में 12 परिवार रहते थे। सात परिवार को बुरहानी ट्रस्ट ने स्थानांतरित कर दिया था, तो वहीं पांच परिवार उसी जर्जर इमारत में रहते थे।
जब मुंबई लाइव ने ट्रस्ट के प्रवक्ता से बात की तो उन्होंने कहा कि "उन्होंने इमारत को खाली करने के लिए परिवारों को नोटिस भेजा था, लेकिन निवासियों ने इस इमारत को खाली नहीं किया। भले ही ट्रस्ट ने आश्वासन दिया कि उन्होंने निवासियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की, लेकिन आखिर क्यो इस कठोर कार्रवाई के बाद भी कई परिवार उस इमारत में रह रहे थे? क्या इमारत में रह रहे परिवार इस परियोजना से खुश नहीं थे?
"मौजूदा समय में काले धन को सफेद धन में परिवर्तित करने के लिए करोड़ रुपये के परियोजनाएं दी गई हैं। निवासियों को कोई भी सुध लेनेवाला नहीं है। सच्चाई ये है की म्हाडा और बुहरानी ट्रस्ट ने निवासियों के परेशानियों को नजरअंदाज किया जिसके कारण ये इमारत गुरुवार को गिर गई।"-किरायेदार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश रेड्डी
म्हाडा की मुंबई बिल्डिंग की मरम्मत और पुनर्निर्माण बोर्ड (एमबीआरआरबी) का मानना है कि ये ट्रस्ट की जिम्मेदारी थी की इमारत में रहनेवाले लोगों को दुसरी जगह स्थानांतरित किया जाए , ट्रस्ट को पहले ही 1700 ट्रांजिट कैंप बनाकर दे दिये जए थे, लेकिन रहिवासियों को स्थानांतरित नहीं किया जा सका जिसके कारण कईयों को अपनी जांन गंवानी पड़ी।
" अगर निवासी स्थानांतरित होने के लिए तैयार नहीं थे, तो म्हाडा अपने अधिकारों का इस्तेमाल उन इमारतों को खाली करा सकती थी। लेकिन ना ही ट्रस्ट और ना ही म्हाडा ने अपने अधिकारों का उपयोग किया , इस कारण इस हादसे के लिए म्हाडा और ट्रस्ट दोनों ही जिम्मेदार है।" - पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई पी सिंह
म्हाडा करेगी हादसे की जांच
भले ही अब तक इस हादसे की जिम्मेदारी म्हाडा ने नहीं ली है , लेकिन इस हादसे की जांच के लिए एमबीआरआरबी ने एक मुख्य अभियंता के नेतृत्व में समिति बनाई है जो अगले 15 दिनों में म्हाडा को रिपोर्ट सौंपेगी।
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