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मैं खुद को कलाकार इसलिए कहूंगा क्योंकि कला के क्षेत्र की सभी फील्ड को मैंने आजमाया: आशुतोष राणा

‘शबनम मौसी’, ‘मुल्क’ और ‘धड़क’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुके बॉलीवुड एक्टर आशुतोष राणा अपनी जबरदस्त आवाज बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी और बेमिशाल अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने निजी जिंदगी से जुडे सवालों का बेबाकी से जवाब दिया।

मैं खुद को कलाकार इसलिए कहूंगा क्योंकि कला के क्षेत्र की सभी फील्ड को मैंने आजमाया: आशुतोष राणा
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‘शबनम मौसी’, ‘मुल्क’ और ‘धड़क’ जैसी फिल्मों में नजर आ चुके बॉलीवुड एक्टर आशुतोष राणा अपनी जबरदस्त आवाज बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी और बेमिशाल अदाकारी के लिए जाने जाते हैं। जल्द ही वे सोशल ड्रामा फिल्म ‘चिकन करी लॉ’ में नजर आने वाले हैं। इस फिल्म में उनके साथ बेहतरीन एक्टर मकरंद देशपांडे भी नजर आएंगे। फिल्म की रिलीज से पहले हमने आशुतोष राणा से खास मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने फिल्म और निजी जिंदगी से जुड़े सवालों का बेबाकी से जवाब दिया।

  • फिल्म का मेसेज
  • 'पिंक' से कितनी अलग
  •  डिजिटल में दिलचस्पी
  • फिल्मों का चयन
  • समय का सही मैनेजमेंट

फिल्म का मेसेज क्या है?

भारत को पूरी दुनिया विश्व गुरु के रूप में जानती और मानती है। इस देश को संस्कार और संस्कृति का केंद्र माना जाता है। यहां पर अतिथि को इंसान का नहीं देवताओं का दर्जा दिया गया है। पर जब देव तुल्य अतिथि पर अनाचार होता है, घृणित घटनाएं घटती हैं तो क्या होता है। इसी मुद्दे को फिल्म में उठाया गया है।

चिकन करी लॉ फिल्म पिंक से कंपेयर हो रही है, उससे कितनी अलग है?

देखा जाए तो फिल्म का प्रिमाइस तो वही है। कोर्ट रूम ड्रामा पिंक भी थी, कोर्ट रूम ड्रामा यह भी है। उसमें भी महिलाओं के ऊपर होने वाले दुराचार पर डिबेट था, इसमें भी महिलाओं के शोषण और उन पर होने वाले अनाचारों पर डिबेट है। ‘पिंक’ 2016 में रिलीज हुई थी। तो 2016 से लेकर 2019 तक महिलाओं पर कितने किस्म के विचित्र, घ्रणित और जघन्य अपराध होते चले गए। क्या यह ऐसी प्रकिया है कि उस पर एक फिल्म बन गई तो उस पर दूसरी फिल्म नहीं बननी चाहिए। मेरा ये मानना है कि कुछ चर्चाएं, कुछ चीजें और कुछ मानसिकताएं ऐसी होती हैं, जिस पर लगातार उनके ऊपर डिबेट होते रहना चाहिए, विचार उत्प्रेरित करते रहना चाहिए।

डिजिटल में दिलचस्पी रखते हैं? 

मैं एक कलाकार हूं। मैं खुद को कलाकार इसलिए कहूंगा, क्योंकि कला के क्षेत्र में जितनी भी फील्ड हैं, सब में हाथ आजमाया है। आशुतोष एक ऐसा ऐक्टर है, जिसने, फिल्म, टीवी, रेडियो, मंच, और थिएटर सबकुछ किया है। इसके साथ ही मैंने न्यूज चैनल्स के लिए इंटरव्यू भी लिए हैं। अब मैं एक वेब सीरीज भी कर रहा हूं। मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे यह सब करने का और खुद को एक्सप्लोर करने का मौका मिला।

किस आधार पर आप फिल्मों का चयन करते हैं?

फिल्म की स्क्रिप्ट, उसकी कहानी और किरदार पर मेरा ध्यान होता है। हो सकता है फिल्म की कहानी बहुत इंट्रेस्टिंग हो। पर अगर सेम किरदार सामने आता है तो देखना पड़ता है कि इसमें क्या अलग कर सकते हैं।

सभी जॉनर्स-प्लेटफॉर्म पर आपने खुद को आजमाया है, सब कुछ मैनेज कैसे करते हैं?

मैनेज करने वाली बात तब आती है, जब आपको समय किसी से उधार लेना पड़े। आपका समय है अपने आनंद और खुशी के लिए इस्तेमाल कीजिए। यहां हमारे और आपके ऊपर निर्भर करता है कि हम समय का सदुपयोग कर रहे हैं कि दुरुपयोग। एगर आप अपने हिस्से के समय का सदुपयोग कर रहे हैं तो आप भाग्यशाली हैं और दुरुपयोग कर रहे हैं तो आप दुर्भाग्यशाली हैं।

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