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स्पोर्ट्स और राजनीति पर खुलकर बोले अनुराग कश्यप!

अनुराग कश्यप- सबसे पहले तो राजनीति को स्पोर्ट्स से निकलना चाहिए। स्पोर्ट्स का खुद पर निर्भर होना बहुत जरूरी है। सरकार चीजें प्रोवाइड करे, जगह प्रोवाइड करे उसके बाद लोगों को संभालने के लिए छोड़ दें। स्पोर्ट्स में राजनैतिक दखल ज्यादातर छोटे छोटे तबकों पर होता है।‘मुक्काबाज’ में भी छोटे लेवल का राजनैतिक दखल दिखाया गया है।

 स्पोर्ट्स और राजनीति पर खुलकर बोले अनुराग कश्यप!
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‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘देव डी’, ‘गुलाल’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेयपुर’ जैसी फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर अपनी आगामी फिल्म ‘मुक्काबाज’ से धूम मचाने के लिए तैयार है। यह फिल्म एक बॉक्सर की प्रेम कहानी पर आधारित है, जोकि मुक्केबाज बनना चाहता है पर ‘मुक्काबाज’ बनकर ही रह जाता है। साथ ही इस फिल्म के माध्यम से स्पोर्ट्स में निचले स्तर पर होने वाली राजनीति को भी उभारा गया है। 

अनुराग को बॉलीवुड में स्टोरी टेलर के नाम से जाना जाता है। उनकी फिल्में निजी जीवन को जड़ से खंगालती हुई आपके सामने परोसी जाती हैं। विनीत कुमार सिंह, जोया मलिक और जिमी शेरगिल स्टारर फिल्म ‘मुक्काबाज’ 12 जनवरी को रिलीज हो रही है। रिलीज से पहले अनुराग कश्यप ने ‘मुंबई लाइव’ से खास बातचीत की, इस बातचीत में उन्होंने फिल्म के अलावा अन्य सवालों के जवाब बेबाकी से दिए।

 

नेताओं पर स्याही तो पड़ती रहती है पर आपने सीधे मुक्का जड़ दिया, क्या कहेंगे?

बहुत जरूरी है इस तरह के कदम उठाना, और व्यवस्था पर कमेंट करना। क्योंकि हमारी आज की समाजिक व्यवस्था राजनैतिक होती जा रही है और बिगड़ती भी जा रही है। हमेशा से एक कलाकार का काम रहा है, उसके बारे में बोलना और उसको एड्रेस करना। हमने वही करने की कोशिश की है। पहले के सिनेमा में भी इस तरह के मुद्दे उठाए जाते रहे हैं।

आपकी फिल्मों में गालियां बहुत सुनने को मिलती हैं, मुक्काबाज इससे अछूती क्यों?

फिल्म का सब्जेक्ट इतना अच्छा था कि मैं चाहता था कि फिल्म ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। स्पोर्ट्स लोगों को ज्यादातर यंग एज में प्रभावित करता है। और युवाअवस्था में स्पोर्ट्समैन निकलने जरूरी होते हैं। अगर आप स्पोर्ट्स पर फिल्म बना रहे हो तो युवाओं के पास पहुंचने की कोशिश करते हो। उस सब्जेक्ट की जितनी ज्यादा रीच होगी उतना अच्छा होगा।

आपकी नजर में स्पोर्ट्स को लेकर कौन से सुधारों की आवश्यक्ता है

सबसे पहले तो राजनीति को स्पोर्ट्स से निकलना चाहिए। स्पोर्ट्स का खुद पर निर्भर होना बहुत जरूरी है। सरकार चीजें प्रोवाइड करे, जगह प्रोवाइड करे उसके बाद लोगों को संभालने के लिए छोड़ दें। स्पोर्ट्स में राजनैतिक दखल ज्यादातर छोटे छोटे तबकों पर होता है, बड़े लेवल पर नहीं होता। अगर स्पोर्ट्स में दखल की जरूरत है तो यह है कि बड़े लेवल पर जो बैठे हैं वे छोटे लेवल के दखल को समाप्त करें। ‘मुक्काबाज’ में भी छोटे लेवल का राजनैतिक दखल दिखाया गया है।

मुक्काबाज’ की तुलना सुलतान से की जा रही है? 

‘सुलतान’ बहुत सारे दर्शकों के लिए बनी सलमान खान की फिल्म है। उसका टाइटल ‘सुलतान’ सलमान खान के स्टारडम को प्रेजेंट करने वाला था। ‘दबंग’ के बाद मुझे सलमान खान ‘बजरंगी भाईजान’ और ‘सुलतान’ पसंद आयी थी। और उनकी बाकी फिल्में मुझे अच्छी नहीं लगीं। ‘मुक्काबाज’ तो ‘सुलतान’ के जोन में है ही नहीं, यह जो तुलना है वह रिलीज तक ही रहेगी।

फिल्म में यूपी के फ्लेवर के साथ साहित्यिक हिंदी का भी इस्तेमाल किया गया है, जैसे प्राण पखेरू हो जाएगा, क्या यह दर्शकों के समझ में आएगा?

वैसे तो सामान्य सी ही हिंदी है, पर फिर भी किसी को समझ में नहीं आएगी तो लोग पूछेंगे। यह अच्छा ही होगा। हम लोग बहुत अंग्रेज होते जा रहे हैं। हिंदी से जुड़ा रहना बेहतर है।

आप सोशल मीडिया को कैसे देखते हैं? 

सोशल मीडिया पहले काफी इम्पावरिंग था। पर अब यह प्लेटफॉर्म सबको इस्तेमाल करना आ गया है। उनको भी इस्तेमाल करना आ गया है जिनके खिलाफ आप इम्पावर इस्तेमाल करते थे। मैं सोशल मीडिया से काफी दूर रहता हूं, मैं इससे जितना दूर रहता हूं, उतना ज्यादा खुश रहता हूं।

विनीत कुमार सिंह मुक्काबाज के लिए आपकी पहली पसंद थे?

विनीत इस फिल्म के लिए पहली नहीं इकलौती पसंद थे। उनके अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं था।  कहानी भी विनीत की थी और मेहनत भी विनीत की ही थी। खुशी की बात यह है कि विनीत उस स्तर के बॉक्सर बन पाए। विनीत के अंदर जो लगन मैंने देखी वह किसी और एक्टर के भीतर नहीं होती है। अगर कोई ऐसा एक्टर और बॉक्सर दिख जाए तो मैं उसके साथ भी फिल्म बना सकता हूं।

आगामी प्रोजेक्ट

‘सैक्रेड गेम्स’ (वेब सिरीज), की शूटिंग दो हप्ते में पूरी हो जाएगी। ‘बॉम्बे टॉकीज’ की शूटिंग पूरी हो चुकी है।  फरवरी से ‘मनमर्जिंयां’ की शूटिंग शुरु हो जाएगी।  


मुक्काबाज ट्रेलर-


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