बेनामी संपत्ति के मामले में बॉलीवुड के बादशाह किंग खान यानी शाहरुख़ खान को बहुत बड़ी राहत मिली है. इस मामले में इनकम टैक्स विभाग के संपत्ति कुर्की के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण ने आधारहीन बताते हुए जब्ती के आदेश को खारिज कर दिया है। शाहरुख खान की यह संपत्ति मुंबई के करीब अलीबाग में है। आपको बता दें कि आयकर विभाग ने शाहरुख खान के अलीबाग में स्थित लगभग 15 करोड़ रुपये मूल्य की कृषि भूमि पर बने फार्म हाउस और भूखंड को जब्त कर लिया था।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधिकरण के अध्यक्ष डी. सिंघवी और सदस्य (विधि) तुषार वी. शाह की खंडपीठ ने शाहरुख खान और उनकी कंपनी 'मैसर्स डेजावू फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड' के खिलाफ आदेश जारी करने के लिए इनकम टैक्स विभाग को कड़ी फटकार भी लगाई। इस कंपनी में शाहरुख खान, उनकी पत्नी गौरी खान और कुछ रिश्तेदारों के शेयर हैं।
न्यायाधिकरण ने कहा कि एक कंपनी द्वारा बिजनस करने लिए उसके लेन-देन को सिर्फ इसलिए बेनामी नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसने लोन लेकर धनराशि हासिल की है। आईटी ने आरोप लगाया था कि 'मैसर्स डेजा वू फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड' एक बेनामीदार (जिसके नाम बेनामी संपत्ति होती है) है और शाहरुख खान उस बेनामी सौदे के लाभार्थी हैं। उसने इस मामले में मेसर्स देजा वू फाम्र्स प्राइवेट लिमिटेड और शाहरुख खान को इसमें वादी बनाया था।
हालांकि न्यायाधिकरण ने शाहरुख खान द्वारा कंपनी के लिए गए कर्ज को नहीं छिपाने और हर साल वार्षिक रिटर्न में इसका उल्लेख करने का लाभ भी दिया, कोर्ट ने कहा कि अलीबाग के ठाल गांव की यह कृषि भूमि और उस पर बना ढांचा बेनामी संपत्ति नहीं है और जांच अधिकारी द्वारा इसकी कुर्की जायज नहीं है।
विभाग ने बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम कानून के तहत कंपनी को बेनामीदार माना क्योंकि उसके नाम पर यह संपत्ति ली गई है। मालूम हो कि बेनामी संपत्ति कानून 1988 में बनाया गया था, लेकिन इसे 2016 में मोदी सरकार ने लागू किया। इसका उद्देश्य कालेधन पर अंकुश लगाना है।
बेनामी संपत्ति के मामले में बॉलीवुड के बादशाह किंग खान यानी शाहरुख़ खान को बहुत बड़ी राहत मिली है. इस मामले में इनकम टैक्स विभाग के संपत्ति कुर्की के आदेश को अपीलीय न्यायाधिकरण ने आधारहीन बताते हुए जब्ती के आदेश को खारिज कर दिया है। शाहरुख खान की यह संपत्ति मुंबई के करीब अलीबाग में है। आपको बता दें कि आयकर विभाग ने शाहरुख खान के अलीबाग में स्थित लगभग 15 करोड़ रुपये मूल्य की कृषि भूमि पर बने फार्म हाउस और भूखंड को जब्त कर लिया था।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधिकरण के अध्यक्ष डी. सिंघवी और सदस्य (विधि) तुषार वी. शाह की खंडपीठ ने शाहरुख खान और उनकी कंपनी 'मैसर्स डेजावू फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड' के खिलाफ आदेश जारी करने के लिए इनकम टैक्स विभाग को कड़ी फटकार भी लगाई। इस कंपनी में शाहरुख खान, उनकी पत्नी गौरी खान और कुछ रिश्तेदारों के शेयर हैं।
न्यायाधिकरण ने कहा कि एक कंपनी द्वारा बिजनस करने लिए उसके लेन-देन को सिर्फ इसलिए बेनामी नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसने लोन लेकर धनराशि हासिल की है। आईटी ने आरोप लगाया था कि 'मैसर्स डेजा वू फार्म्स प्राइवेट लिमिटेड' एक बेनामीदार (जिसके नाम बेनामी संपत्ति होती है) है और शाहरुख खान उस बेनामी सौदे के लाभार्थी हैं। उसने इस मामले में मेसर्स देजा वू फाम्र्स प्राइवेट लिमिटेड और शाहरुख खान को इसमें वादी बनाया था।
हालांकि न्यायाधिकरण ने शाहरुख खान द्वारा कंपनी के लिए गए कर्ज को नहीं छिपाने और हर साल वार्षिक रिटर्न में इसका उल्लेख करने का लाभ भी दिया, कोर्ट ने कहा कि अलीबाग के ठाल गांव की यह कृषि भूमि और उस पर बना ढांचा बेनामी संपत्ति नहीं है और जांच अधिकारी द्वारा इसकी कुर्की जायज नहीं है।
विभाग ने बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम कानून के तहत कंपनी को बेनामीदार माना क्योंकि उसके नाम पर यह संपत्ति ली गई है। मालूम हो कि बेनामी संपत्ति कानून 1988 में बनाया गया था, लेकिन इसे 2016 में मोदी सरकार ने लागू किया। इसका उद्देश्य कालेधन पर अंकुश लगाना है।