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धसई बना महाराष्ट्र का पहला कैशलेस गांव


धसई बना महाराष्ट्र का पहला कैशलेस गांव
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धसई – एक ऐसा गांव जहां बैंक या एटीएम से पैसे निकालने के लिए लोगों की लाइन नहीं दिखाई देती। इस गांव में हर छोटे - बड़े ट्रांजेक्शन के लिए लोग प्लास्टिक मनी का इस्तेमाल करते है। गांव का नाम है धसई गांव जो मुरबाड़ तहसील के नजदिक है। जहां एक तरफ देश के कई एटीएम और बैंको के सामने लोगों की लंबी -लंबी कतारें देखने मिल रही है तो वही दूसरी तरफ धसई गांव राज्य का पहला कैशलेस गांव बनने जा रहा है। इसका पूरा श्रेय जाता है स्वातंत्रवीर सावरकर प्रतिष्ठान को। स्वातंत्रवीर सावरकर प्रतिष्ठान ने बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ मिलकर इस अभियान की शुरुआत की है। गांव में बैंक ऑफ बड़ौदा और स्वातंत्रवीर सावरकर प्रतिष्ठान की ओर से हर गांववालें को एक डेबिट कार्ड दिया गया है। 6 वड़ा पाव विक्रेता सहीत गांव में 39 स्वाइप मशीनें भी बांटी गई है। राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इस अभियान का शुभारंभ डेबिट कार्ड के जरिए चावल खरिदकर किया। इस मौके पर स्वातंत्रवीर सावरकर प्रतिष्ठान के कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत सावरकर के साथ - साथ बैंक ऑफ बड़ौदा के उप महाप्रबंधक( मुंबई मेट्रो मध्य क्षेत्र) नवजेत सिंह, विधायक किशन कठोरे सहीत कई मान्यवर उपस्थित थे।

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