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मुंबई के किनारों पर पर छूपके - छूपके होती है पर्ससीन मच्छी मार ?


मुंबई के किनारों पर पर छूपके - छूपके होती है पर्ससीन मच्छी मार ?
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एक तरफ प्रदुषण के कारण राज्य में मच्छीमार में कमी आई है तो वहीं दूसरी ओर पर्ससीन पद्धति की मच्छीमार के कारण अब पारंपरिक तरिके से मच्छीमार करनेवाले परेशान है। राज्य सरकार ने 2016 में पर्ससीन तरीके से मच्छीमार करने पर पाबंदी लगा दी थी। उसके एक महिने के भीतर केंद्र सरकार के पर्ससीन मच्छीमार पर पाबंदी से मुंबई में पारंपरिक तरिके से मच्छीमार करनेवालों को कुछ राहत मिली थी, हालांकी ये राहत ज्यादा देर तक नहीं रही।

मुंबई के किनारों पर शुरु है पर्ससीन नेट का इस्तेमाल
महाराष्ट्र मच्छिमार कृती समिति की ओर से दावा किया गया है की राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पाबंदी के बाद भी मुंबई में चोरी छिपके पर्ससीन नेट से मच्छीमार शुरु है। मच्छीमार के लिए आधूनिक तरीके के इस्तेमाल के कारण पारंपरिक तरीके से मच्छी मारने का व्यवसाय करनेवालो को काफई परेशानी होती है। जिसके कारण पारंपरीक तरिके से मच्छीमार करनेवालो को कम मछलियां मिलती है। साथ ही पर्ससीन नेट का असर अब मच्छीयों की प्रजातियों के लिए भी खतरा साबित होता जा रहा है।


पाबंदी के बाद भी जारी है पर्ससीन तरीके से मच्छीमार
पारंपरिक तरीके से मच्छी मारनेवाले ने पर्ससीन तरीके से मच्छी मारने का विरोध किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने फरवरी 2016 में पर्ससीन तरीके से मच्छी मारी को बंद कर दिया था। लेकिन कोई भी कठोर कार्रवाई ना होने के कारण पर्ससीन तरीके से मच्छी मारने का कार्य फरवरी 2016 के बाद भी होता रहा।


सरकार नहीं कर रही कोई कार्रवाई
कृती समिती के अध्यक्ष दामोदर तांडेल ने आरोप लगाया की वो इस बार में बार बार प्रशासन को याद दिलाते रहे है और मांग की है की पर्ससीन तरीके से मच्छी मार करनेवालों पर कठोर कार्रवाई की जाए, बावजूद इसके सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है ।

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