महात्मा गांधीजी के बारे में ऐसी बहुत सी बातें हैं जो लोगों को नहीं मालूम हैं। महात्मा गांधीजी के बारे में आइये जानते हैं ऐसी ही 10 आश्चर्यजनक और अनसुनी बातें।
1.महात्मा गांधी के सबसे प्रिय लेखको में से एक थे लियो टॉलस्टॉय। गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दौरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी में टॉलस्टॉय फार्म स्थापित किया था।
2.अमेरिका के महात्मा गांधी कहे जाने वाले मार्टिन लूथर किंग जूनियर भी महात्मा गांधी से प्रेरित थे। 1955-56 में किंग जूनियर की भागीदारी वाला प्रसिद्ध मांटगोमरी बस बहिष्कार आंदोलन महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन और सत्याग्रह से ही प्रेरित था।
3. कहा जाता है कि एक बार रेलयात्रा के दौरान महात्मा गांधी का एक जूता नीचे गिर गया। उन्होंने उसी समय अपना दूसरा जूता भी फेंक दिया। जब बगल के यात्री ने कारण पूछा तो वे बोले एक जूता मेरे किसी काम नहीं आएगा। कम से कम मिलने वाले को तो दोनों जूते पहनने का मौका मिलेगा।
4. बतया जाता है कि महात्मा गांधी अपनी सेहत के प्रति इतना सजग थे कि वे हर दिन 18 किलोमीटर चलते थे. अगर इसकी गणना जाए तो यह धरती के 2 चक्कर लगाने के बराबर होगा।
5. महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था- ‘पश्चिम में अकेले अल्बर्ट श्वाइटज़र ही ऐसे हैं जिनका इस पीढ़ी पर उस तरह का नैतिक प्रभाव पड़ा है, जिसकी तुलना गांधी से की जा सकती हो। आइंस्टीन और महात्मा गांधी में थोड़ा बहुत पत्राचार भी होता था।
6. कहते हैं कि महात्मा गांधी हर व्यक्ति से कुछ न कुछ सीखते थे, वे महावीर स्वामी के पंचमहाव्रत और महात्मा बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का पालन करते थे। उन्हें भगवान महावीर, महात्मा बुद्ध और भगवान श्रीकृष्ण पसंद थे। उनके पास हमेशा गीता रहती थी.
7. अपने जीवनकाल गांधीजी कभी अमेरिका नहीं गए और ना ही कभी प्लेन में बैठे, जब वे जीवित थे तो उस समय अमेरिका में उनके लाखो फालोवर थे। यह भी एक बात कही जाती है कि आजादी के दौरान सबसे ज्यादा उनके ही फोटो खिंचे गए थे जबकि गांधीजी को फोटो खिंचवाने का बिलकुल भी शौक नहीं था.
8. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कुछ अंग्रेज पत्रकार महात्मा गांधी के पास आए और उनका इंटरव्यू अंग्रेजी में लेने आये तो इस पर महात्मा गांधी हिंदी में बोले मेरा देश अब आजाद हो गया है। अब मैं हिंदी में ही बात करूंगा।
9. महात्मा गांधी की राइटिंग सचमुच बहुत अच्छी नहीं थी। इसलिए वे सदैव इस बारे में चिंतित रहते थे।
10. गांधी को सबसे ज्यादा प्रेरित किया अमेरिका के प्रसिद्ध दार्शनिक हेनरी डेविड थारो (1817-1862) ने। महात्मा गांधी का 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' इन्हीं की पुस्तक वाल्डेन और निबंध 'सिविल असहयोग' से प्रेरित था. मजेदार बात यह है कि थोरो को यह प्रेरणा इमर्सन के द्वारा भारतीय दर्शन से मिली थी।