
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 और उसके अंतर्गत नियम, 2017 के अनुसार, राज्य के सभी सरकारी और अर्ध-सरकारी प्रतिष्ठानों को अपने कार्यालयों में दिव्यांग अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी निर्धारित प्रारूप में दर्ज करना अनिवार्य है। राज्य सरकार के सभी मंत्रालयिक विभागों, उनके प्रशासनिक नियंत्रणाधीन कार्यालयों, विभागाध्यक्षों और स्वायत्तशासी संस्थाओं को अपने विभागों में दिव्यांग अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी हर साल 1 जनवरी को विभाग की वेबसाइट पर प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया गया है। सचिव तुकाराम मुंढे ने कहा कि इससे सरकारी सेवा और पदोन्नति में दिव्यांगजनों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण प्रभावी रूप से लागू होगा।(4% reservation for persons with disabilities will be implemented effectively )
दिव्यांगजनों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण को प्रभावी रूप से लागू होगा
सचिव मुंढे ने कहा कि इस निर्णय का उद्देश्य सरकारी सेवा में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारियों का पारदर्शी और सटीक रिकॉर्ड बनाए रखना और दिव्यांगजनों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण को प्रभावी रूप से लागू करना है। इस निर्णय से राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत दिव्यांग कर्मचारियों की जानकारी एक ही प्रारूप में उपलब्ध हो जाएगी, जिससे दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें सशक्त बनाने के प्रयासों को और बल मिलेगा।
जानकारी ना देने वाले विभागों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई
इस निर्णय के अनुसार, सभी प्रशासनिक विभाग और सभी विभागाध्यक्ष दिव्यांगों के रिक्त पदों की अर्धवार्षिक समीक्षा करेंगे। इससे बैकलॉग पदों को शीघ्र भरा जा सकेगा। सभी मंत्रालयिक विभागाध्यक्षों द्वारा तैयार की गई जानकारी प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को आयुक्त, दिव्यांग कल्याण को प्रस्तुत की जाएगी और आयुक्त, दिव्यांग कल्याण सभी विभागों से जानकारी संकलित कर उसे विभागवार वार्षिक रिपोर्ट में शामिल करेंगे। सचिव मुंढे ने बताया कि निर्धारित प्रारूप में जानकारी प्रस्तुत न करने वाले विभागों के विरुद्ध धारा 89 के अनुसार दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में सरकारी निर्णय दिव्यांग कल्याण विभाग द्वारा जारी किया गया है और यह महाराष्ट्र सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
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