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चौकानें वाला सर्वे: कार में पीछे बैठने वालों में मात्र 7.4 फीसदी लोग ही लगाते हैं सीट बेल्ट

इस सर्वे में मुंबई सहित दिल्ली, बैंगलोर, कोलकाता, चेन्नई, जयपुर, गुवाहाटी, लखनऊ, पणजी, पटना और कोच्चि जैसे 10 शहरों के लगभग 700 मोटर चालकों से इस बारे में बात की गयी।

चौकानें वाला सर्वे: कार में पीछे बैठने वालों में मात्र 7.4 फीसदी लोग ही लगाते हैं सीट बेल्ट
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सड़क ट्रैफिक नियमों के अंतर्गत भले ही लोगों की जागरूकता के लिए सीट बेल्ट पहनने पर जोर दिया जाता तो लेकिन एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि मुंबई में 63 फीसदी लोग रीयर सीट बेल्ट का उपयोग नहीं करते हैं। रियर सीट बेल्ट का मतलब कार में पीछे बैठने वाले लोग। वैसे जागरुक के आभाव में कई लोगों को तो यह भी पता नहीं होगा कि कार में पीछे बैठने वाले लोगों को भी सीट बेल्ट पहनना अनिवार्य है। लेकिन लचर कानून के चलते न तो कार में पीछे बैठने वाले लोग और न ही ट्रैफिक विभाग इस पर ध्यान देता है। सर्वे के मुताबिक़ मात्र 7.4 फीसदी लोग ही रियर सीट बेल्ट लगाने की आवश्यकता के बारे में जानते हैं।

10 शहरों में किया गया सर्वे 
आपको बता दें कि 'भारत में रियर सीटबेल्ट उपयोग और बाल सड़क सुरक्षा' शीर्षक से यह सर्वे निसान द्वारा गैर-लाभकारी सेवलाइफ फाउंडेशन के साझेदारी में आयोजित किया गया था। इस सर्वे में मुंबई सहित दिल्ली, बैंगलोर, कोलकाता, चेन्नई, जयपुर, गुवाहाटी, लखनऊ, पणजी, पटना और कोच्चि जैसे 10 शहरों के लगभग 700 मोटर चालकों से इस बारे में बात की गयी।

अपने यहां चलन ही नहीं
इस सर्वे से पता चलता है कि जो लोग जागरूक भी होते हैं वो भी रियर सीट बेल्ट का उपयोग कम करते हैं जबकि 10 में से 7 कार चालको को रियर सीट बेल्ट की उपयोगिता पता है। महानगरों में लगभग 72 प्रतिशत कार ड्राइवरों ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने पीछे बैठने वाली वाले यात्री को कभी भी सीट बेल्ट पहने हुए नहीं देखा है।

अजीब तर्क हैं न पहनने के
सर्वे में रियर सीट बेल्ट न पहनने के कारण जो सामने आएं हैं वो भी काफी अजीब है, जैसे 37.8 प्रतिशत लोग मानते हैं कि यह अनिवार्य नहीं है। जबकि 23.9 प्रतिशत लोग  जागरूकता की कमी के कारण नहीं पहनते हैं और 4.6 प्रतिशत कपड़े को नुकसान के डर से बेल्ट नहीं लगाते।

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