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गरीब नगर आग हादसा: तोड़क कार्रवाई के दौरान 'आग' को हथियार की तरह से इस्तेमाल करते स्थानीय निवासी?


गरीब नगर आग हादसा: तोड़क कार्रवाई के दौरान 'आग' को हथियार की तरह से इस्तेमाल करते स्थानीय निवासी?
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गुरूवार को बांद्रा के गरीब नगर में बने झुग्गियों में बीएमसी द्वारा की जा रही कार्रवाई के दौरान अचानक आग लग गयी। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह आग बीएमसी की कार्रवाई के दौरान लगी, यानी जब झुग्गियों को गिराया जा रहा था तभी जेसीबी मशीन का हथौड़ा घर में रखे एक सिलेंडर से टकरा गया और चिंगारी निकली जिससे आग लग गयी, जबकि मौके पर मौजूद सरकारी सूत्र के अनुसार यह आग लगी नहीं बल्कि लगायी कार्रवाई से बचने के लिए स्थानीय लोगों ने लगायी है।

हर बार एक ही संयोग?

यह पहली बार नहीं है जब यहां आग लगी हो अब तक यहां पिछले सात सालों में यह तीसरी बार आग लगने की घटना है। इसके पहले यहां मार्च 2011 और 2014 में भी आग लग चुकी है और उस समय भी अवैध निर्माण पर कार्रवाई की जा रही थी। इसे संयोग नहीं कहा जा सकता है कि जब जब यहां अवैध निर्माणों पर कार्रवाई की जाती है तभी ही आग लगती है। इस बार भी जब आग लगी उस समय भी बीएमसी कार्रवाई कर रही थी।

वोट बैंक बनी अवैध निर्माण की वजह

बताया जाता है कि जब 2011 में जब यहां अवैध झुग्गियों को तोड़ा जा रहा था उस समय भी आग लगी थी, लेकिन वोट बैंक के चलते तोड़े गये सभी झुग्गियों को फिर से बनाने का आदेश दिया गया। आग लगने के बाद तात्कालीन कांग्रेस सांसद प्रिय दत्त, विधायक बाबा सिद्दकी सहित नारायण राणे ने पीड़ितों से मुलाकत कर उन्हें आर्थिक मदद उपलब्ध करायी थी। उस समय झुग्गियों की ऊँचाई 14 फीट रखने का मानदंड तय हुआ था. लेकिन लोगों ने नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए लगभग 25 से 30 फीट उंचे मकान बनाने शुरू कर दिया। लोगों ने 3 से 4 मंजिला मकान बना कर उसे किराये पर देने लगे, जिससे उनको हजारों में इनकम होने लगी और अब आलम यह है कि यहां इतनी पतली-पतली गली है कि दिन में भी अँधेरा रहता है।

कार्रवाई जारी रहेगी- ससाणे

कोर्ट ने अपने आदेश में तानसा पाइप लाइन से सट कर जितने भी झोपड़े हैं उन्हें हटाने को कहा है। कोर्ट के आदेशानुसार रेलवे और बीएमसी दोनों मिलकर कार्रवाई करते हैं। इस समय 300 झोपड़ों को चिन्हित किया गया है जिन्हें तोड़ा जाना है। आग लगने के पहले बीएमसी ने लगभग 60 से 70 झोपड़े को तोड़ा था।

एच/पूर्व विभाग के सहायक आयुक्त अलका ससाणे ने बताया कि इन्हें 2015 से ही घर खाली करने का नोटिस भेजा जा रहा है, लेकिन इन्होने नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया। कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई का निर्णय लिया गया। आग लगने की घटना को देखते हुए अभी कार्रवाई रोक दी गयी है लेकिन जल्द ही कार्रवाई को फिर से शुरू किया जायेगा।






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