
बीएमसी ने काला चौकी के पास एक बड़े कबूतरखाने पर कार्रवाई की है। इस कार्रवाई से जैन समुदाय में आक्रोश फैल गया है। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाली कार्यकर्ता स्नेहा विसारिया ने कहा कि वह इस तोड़फोड़ को अदालत में चुनौती देंगी।
पुलिस सुरक्षा में तोड़फोड़
सालों से कबूतरों को दाना खिलाने के लिए इस्तेमाल की जा रही इस इमारत को बीएमसी ने सोमवार सुबह करीब 11 बजे पुलिस सुरक्षा में ध्वस्त कर दिया। कबूतर प्रेमियों और धार्मिक समूहों के विरोध से बचने के लिए यह व्यवस्था की गई थी। कबूतरखाना लोढ़ा वेनेज़िया सोसाइटी के पास अंबेवाड़ी इलाके में स्थित था।
एक स्थानीय निवासी ने फ्री प्रेस जर्नल को बताया, "जैसे ही मुझे तोड़फोड़ की सूचना मिली, मैं मौके पर पहुँच गया। लेकिन तब तक बीएमसी और पुलिस काम पूरा करके जा चुके थे। जिस जगह कबूतर बैठते और दाना खाते हैं, उसे पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है।"
जैन समुदाय में आक्रोश
जैन समुदाय इस कार्रवाई पर कड़ी नाराजगी व्यक्त कर रहा है। जैन संत नीलेशचंद्र विजय ने दादर स्थित कबूतरखाने को फिर से खोलने की मांग को लेकर 3 नवंबर को आज़ाद मैदान में अनशन शुरू किया था। हालाँकि, कैबिनेट मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर द्वारा 15 दिनों के भीतर समाधान निकालने का आश्वासन दिए जाने के बाद उन्होंने पाँच घंटे के भीतर ही अनशन समाप्त कर दिया।
समाज के कुछ सदस्यों ने बताया कि बीएमसी द्वारा किया गया तोड़फोड़ का काम 15 दिन की अवधि पूरी होने से पहले ही पूरा कर लिया गया था।स्नेहा विसारिया ने कहा, "जब मामला अदालत में लंबित था, तब बीएमसी ने इतनी जल्दी में इस निर्माण को कैसे ध्वस्त कर दिया? अदालत ने केवल कबूतरों को दाना डालना बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन अब बीएमसी केवल दाना डालने वाले स्थानों को ही ध्वस्त कर रही है। यह पूरी तरह से अवैध है।"
अब तक छह कबूतरखाने ध्वस्त
विसारिया ने कहा कि बीएमसी पहले ही शहर में छह कबूतरखाने ध्वस्त कर चुकी है। मरीन ड्राइव, गिरगांव चौपाटी, लालबाग, नवजीवन, खार और बोरीवली।इस बीच, सूत्रों के अनुसार, जैन संत नीलेशचंद्र विजय भी कालाचौकी कबूतरखाने को तोड़े जाने के विरोध में प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं।
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