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तबेलों को मुंबई से स्थांतरित करने के लिए कोर्ट ने दिया राज्य सरकार को निर्देश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुंबई में स्थित तबेलों को स्थांतरित होने का आदेश दिया है। एक सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि मुंबई के महानगरीय क्षेत्र में स्थित तबेलों को दहाणु तालुका के दापचारी इलाके में स्थांतरित किया जाए।

तबेलों को मुंबई से स्थांतरित करने के लिए कोर्ट ने दिया राज्य सरकार को निर्देश
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को मुंबई में स्थित तबेलों को स्थांतरित होने का आदेश दिया है एक सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि मुंबई के महानगरीय क्षेत्र में स्थित तबेलों को दहाणु तालुका के दापचारी इलाके में स्थांतरित किया जाए। इस बारे में अदालत ने सरकार से 12 जून एक तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।

साल 2005 में 'जनहित मंच' नामके एक संगठन ने कोर्ट में याचिका दायर मुंबई उपनगर से सभी तबेलों को हटाने की मांग की थी संगठन का कहना था कि, मुंबई में सैकड़ों तबेले हैं, इन तबेलों से प्रदूषण फ़ैल रहा है और नागरिकों के स्वास्थ्य को लेकर भी समस्याएं सामने आती हैं

इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तबेलों को मुंबई से स्थांतरित करने का आदेश दिया था। जिसके बाद सरकार की तरफ से भी कहा गया था कि, इसके बाद साल 2007 में सरकार ने तबेलों को दापचारी भेजने का निर्णय लिया,अब जबकि कोर्ट के निर्णय को 14 साल बीत गये इसके बावजूद आज तक मुंबई में तबेले जस के तस हैं

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न्या. सत्यरंजन धर्माधिकारी और  न्या. रियाज छागला की खंडपीठ ने विभागों के सचिवों को एक विशेष समिति बनाने का आदेश दिया और इस मामले में क़ानूनी मदद के लिए एडवोकेट विवेक शिरालकर को नियुक्त किया

जब इन सभी में मिलकर अपनी रिपोर्ट पेश की तो कोर्ट ने आदेश दिया था कि, पालघर जिलाधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारियों को इस मामले में मदद करनी चाहिए

रिपोर्ट में जो बातें बताई गयीं थी वो इस तरह थीं..

  • मवेशियों के पुनर्वसन और कर्मचारियों के पुनर्वसन के लिए दपचरी में 140 हेक्टेयर जमीन दी जाएगी।
  • तबेलों तक आसानी से पहुंचने के लिए सरकार एक साल के भीतर ही राजमार्ग से जुड़ी सड़कें बनाने, भूमि का समतलीकरण करनें, गंदे जल की निकासी के लिए पाइप जोडने और बिजली की आपूर्ति सहित अन्य  तमाम सुविधाएं उपलब्दिध कराने का आश्वासन दिया था।
  • तबेलों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए घर बनाने के लिए 30 साल के लिए जमीन पट्टे पर दी जाएगी और  घरों के निर्माण को पूरा करने के लिए अतिरिक्त तीन साल का समय दिया जाएगा। 
  • परियोजना को मंजूरी देने के लिए राज्य सरकार की कैबिनेट  छह सप्ताह के अंदर स्वीकृति ली जाएगी।
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