गुरुवार को मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने मुंबई में हुए 1993 ब्लास्ट के मामले में 5 आरोपियों को सज़ा सुनाई। अबू सलेम और करीमुल्लाह को उम्रकैद और 2 -2 लाख का जुर्माना लगाया है तो वही ताहिर मर्चट और फिरोज खान को फांसी की सजा दी गई है। एक अन्य आरोपी रियाज सिद्दिक्की को 10 साल की कारावास की सज़ा दी गई है। अबू सलेम को उम्रकैद की सजा दिलाने इस शख्स का नाम है वकिल दिपक साल्वी ।
2009-10 में विशेष सीबीआई वकील दिपक साल्वी ने कोर्ट में मुंबई ब्लास्ट का केस लड़ना शुरु किया। जब उन्होने मामले को लड़ने की शुरुआत की तो उन्हे लगा की यह केस 6 महिने में ही खत्म हो जाएगा। लेकिन इस मामले को अपने अंजाम तक पहुंचने में सात साल लग गए।
एक वेबसाइट पर छपी खबर के मुताबिक साल 2010 में पूर्व सोलीसिटर जनरल ने दिपक साल्वी से इस मामले को देखने के लिए कहा था। इस समय केस की लगभग आधी सुनवाई हो गई थी, लेकिन दिपक साल्वी को इस बात भी ध्यान रखना था की कही कोई भी आरोपी कानून की धाराओं का दूरुपयोग कर उसका फायदा ना उठा ले। साल्वी साल 2010 में 850 मामलों की पैरवी कर रहे थे, लेकिन सीबीआई की पेशकश के बाद उन्होन ये मामला अपने हाथ में ले लिया।
अपने सह आरोपियों को दिये गए बयान को अबू सलेम ने खारिज करना शुरु किया। दिपक साल्वी के सामने ये सबसे बड़ी चुनौती थी उसके सह आरोपियों की गवाही को कानून अमान्य ना कर दे।
300 से भी ज्यादा जजमेंट का लिया सहारा
दिपक साल्वी ने आरोपियों को किसी भी तरह की रियायत ना मिले इसके लिए खास तैयारियां की थी। साल्वी ने 300 से भी ज्यादा जजमेंट को आपने मामले को और मजबूत करने के लिए पेश किया।
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