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मुंबई- रेल पटरियों पर झुग्गियों के पुनर्वास की मांग

उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में रेलवे ट्रैक पर झुग्गियों के पुनर्वास के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्थगन आदेश के आधार पर सांसद गोपाल शेट्टी ने ये पत्र लिखा है।

मुंबई-  रेल पटरियों पर झुग्गियों के पुनर्वास की मांग
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उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में रेलवे ट्रैक पर झुग्गियों के पुनर्वास के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्थगन आदेश के आधार पर अब मुंबई मे भी रेल पटरियों पर बसे झुग्गियों के पुनर्वास की मांग होने लगी है।  उत्तर मुंबई से बीजेपी सांसद  गोपाल शेट्टी ने इस बाबत केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को इस बाबत एक पत्र भी लिखा है।  

सांसद गोपाल शेट्टी ने केंद्रीय रेल मंत्री  अश्विनी वैष्णव को रेल पटरियों पर झुग्गियों के पुनर्वास के संबंध में एक विस्तृत पत्र लिखा। उत्तराखण्ड के हल्द्वानी में रेलवे ट्रैक पर झुग्गियों के पुनर्वास के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए स्थगन आदेश के आधार पर सांसद गोपाल शेट्टी ने ये पत्र लिखा है।  

गोपाल शेट्टी ने रेलवे की जमीन/रेलवे की पटरियों पर रहने वाली झुग्गियों/झोपड़ियों के पुनर्वास और वैकल्पिक आवास के संबंध में संसद में कई बार आवाज उठाई है। 16 मार्च, 2022 को रेल बजट के बाद सांसद  गोपाल शेट्टी ने  लोकसभा में रेलवे ट्रैक पर झुग्गियों के पुनर्वास की बात कही थी।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखते हुए उन्होने कहा की    "रेल मंत्रालय और महाराष्ट्र सरकार से रेलवे लाइन के बगल में रहने वाली झुग्गियों/झोपड़ियों का वैकल्पिक पुनर्वास और पुनर्स्थापन प्रदान करने के लिए अनुरोध करने के लिए लगभग 18 वर्षों से मेरे सभी प्रयासों के संदर्भ में , मैं दोहराना चाहता हूं कि मैं इसका पालन कर रहा हूं, उपरोक्त बिंदुओं को लगातार  मैंने कई बार केंद्रीय और राज्य के मंत्रालयों को पत्र लिखा है, कई संयुक्त बैठकें की हैं और संसद के सदस्य के रूप में कई बार अपनी आवाज उठाई है,  संसद सत्र में और यहां तक कि सार्वजनिक रूप से सड़कों पर अपनी आवाज उठाई ,  केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कोई ठोस और सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है "

उन्होने अपने पत्र में उत्तराखंड के हल्द्वानी मामले का भी जिक्र किया है।  उन्होने कहा की उत्तराखंड के हल्द्वानी मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के स्थगन आदेश का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि माननीय न्यायालय ने उन परिवारों को राहत दी है जिन्हें उनके घरों से बेदखल करने का निर्देश दिया गया था और सरकार को भी निर्देशित किया था। लोगों के पुनर्वास सहित कुछ व्यावहारिक तरीका खोजें, याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि वे 60 साल से वहां रह रहे हैं और अब उन्हें वहां से 'उखाड़ने' के लिए एक बड़ी ताकत तैनात की गई है

गोपाल शेट्टी ने अनुरोध किया है कि राज्य सरकारों को आगे आकर संयुक्त रूप से उन प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए काम करना चाहिए जो वर्षों से रेल पटरियों के पास रह रहे हैं और वैकल्पिक आवास प्रदान करने का लक्ष्य रखते हैं और केंद्र सरकार योगदान दे सकती है। राज्य सरकार को वित्तीय मुआवजा प्रदान करें और यह सुनिश्चित करें कि प्रभावित झुग्गियों को वैकल्पिक आवास प्रदान करने के लिए कुछ त्वरित कार्रवाई की जाए।

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