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जॉर्ज अस्पताल में मरिजों के लिए बने रुम में रहते है डॉक्टर


जॉर्ज अस्पताल में मरिजों के लिए बने रुम में रहते है डॉक्टर
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सेंट जॉर्ज अस्पताल नर्सिंग होम विभाग के खाली पड़े रुम में अस्पताल के अधिकारियों ने अपनी मर्जी से दो लोगों को रहने दिया है। आरटीआई कार्यकर्ता और राज्य शासन के अभ्यागत मंडल समिती के सदस्य संजय गुरव ने इसकी जानकारी आरटीआई के जरिए मांगी थी,जिसमें यह खुलासा हुआ है। संजय गुरव का कहना है की अधिकारियों के इस फैसले के बाद अस्पताल में आनेवाले मरिजो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सेंट जॉर्ज अस्पताल में नर्सिंग होम में कुछ पीटीएफ विभाग की मरम्मत के कारण इस कमरो को नर्सिंग होम विभाग की ओर से रोगियों के लिए देना आवश्यक है। हालांकि, इन कमरो में आरएमओ डॉ. गर्भ वानखेडे और डॉ. राहुल पारदे को रहने दिया गया है।

इस विभाग में 5 से 6 कमरो के मरम्मत का कार्य शुरु है। जिसके कारण मरिजो को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आरटीआई कार्यकर्ता सुरेश गुरव ने इस सभी की जानकारी आरटीआई से निकाली है।

जब इस बारे में सेंट जॉर्ज अस्पताल के चिकित्सकीय अधीक्षक डॉ. मधुकर गायकवाड़ के साथ संपर्क किया गया तो उन्होने इस कमरे को नर्सिंग विभाग के न होने उनको कॉल्स रुम्स बताया है, साथ ही उन्होने कहा की आरटीआई कार्यकर्ता के सारे आरोपी बेबुनियाद है। आरएमओ ने तुरंत ही उन कमरों में इन्हे रहने की इजाजत दी है, ये कमरे पिछलें कई महिनों से बंद पड़े थे। लेकिन इगर इस बात से किसी को समस्या है तो उन कमरो को फिर से बंद कर दिया जाएगा।

अस्पताल परिसर में 7 निवासी मेडिकल रुम है। संजय गुरव ने कहा की इन नर्सिंग होन के रुम नंबर 2 और 3 को किसी भी डॉक्टर को देने का कोई भी प्रायोजन नहीं है।
रेजिंडेंट डॉक्टरो के लिए हॉस्टल में रुम उपलब्ध है। उनमें भी रुम दिये जा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके पहले भी अस्पताल में राज्यपाल रा. सू. गवई और उसके सामने वाले रुम को भी गोदाम की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। ये आरोपी आरटीआई कार्यकर्ता संजय गुरव ने अस्पताल प्रशासन पर लगाया। मरिजो के लिए दिये गए रुम को किसी इन्य कारणों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। संजय गुरव ने इस मामले में मेड़िकल संचालन में लिखीत शिकायत कर इस पूरे मामले की जांच की मांग की है।

तो वही इस विषय पर सेंट जॉर्ज अस्पताल के अधीक्षक मधुकर गायकवाड ने सुचना अधिकारी को जवाब देते हुए कहा की संस्थाप्रमुख होने के कारण संचालक और अधिष्ठाता की इस मामले में इजाजत लेने की कोई जरुरत नहीं है।
मेडिकल शिक्षण और संसोधन के संचालक डॉ. प्रवीण शिंगारे ने आरोपो को खारिज करते हुए कहा की ऐसे कई डॉक्टर जे जे अस्पताल में है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं की इन कमरो को हर बार उन्हे दिया जाता है।

संजय गुरव का कहना है की नर्सिंग होम में दिये जाने वाले रुम का भाड़ा 150, 500 और 1000 रुपये है,जो मरीजो के रहने पर उनसे लिया जाता है, लेकिन क्या इन डॉक्टरो से यह भाड़ा लिया जाता होगा?


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