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आप जानते हैं 29 अगस्त को मुंबई क्यों डूबी? अगर नहीं, तो जाने यहां


आप जानते हैं 29 अगस्त को मुंबई क्यों डूबी? अगर नहीं, तो जाने यहां
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मुंबई में 29 अगस्त को बारिश से मुंबईकरों को जिन मुसीबतों का सामना करना पड़ा वह 26 जुलाई 2005 में आई बाढ़ का रीमेक बताई जा रही है। आरोप है कि बीएमसी 26 जुलाई के इस बाढ़ से कोई सीख नहीं ली। ऐसे कई कारण है जो 29 अगस्त की बाढ़ का कारण बने हैं।


नालों की अधूरी सफाई

हर साल बीएमसी नालों की सफाई में करोड़ो रूपये फूंकती है लेकिन नाले है कि साफ़ ही नहीं होते। अगर जोरदार बारिश होती है तो सड़को पर पानी लबालब भर जाता है। बीएमसी कमिश्नर अजोय मेहता ने बुधवार को पत्रकारों से बार करते हुए यह बात स्वीकार किया कि सड़कों पर पानी भरा था। उन्होंने इसका कारण प्लास्टिक और थर्माकोल का नालों में जमा होना बताया। अब सवाल उठाना लाजमी है कि बीएमसी नाले सफाई के नाम पर क्या करती है?


पेवर ब्लॉक, सीमेंट कंक्रीट की सड़के

पेवर ब्लॉक और सीमेंट कंक्रीट की बने सड़के और फूटपाथ पानी को नहीं सोख पाती जिससे पानी बह कर नालों में जाता है और इसीलिए नाले भर जाते हैं। पहले जब मिटटी की सड़के होती थी तो मिट्टियां पानी सोख लेती थी। लेकीन अब ऐसा नहीं है।


मैंग्रोव की कटाई

मैंग्रोव की कटाई से मीठी नदी और दहिसर नदी का पानी रिहायशी इलाको में घुसने लगा। अतिक्रमण होने से नदियां नालो का रूप लेने लगी। फलस्वरूप पानी का स्तर भी बढ़ने लगा और मुसलाधार बारिश में पानी वापस सड़कों पर आने लगता है।


पुराने नाले टूटे, नए नालों का निर्माण नहीं

नालो के सफाई और निर्माण पर बीएमसी करोड़ो रूपये खर्च करती है। इसके बाद भी कई स्थानों पर पुराने नाले जर्जर हो चुके हैं और आवश्यकता होने के बाद भी नए नालों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। पुराने नालों में मिटटी भी जमा होने के कारण पानी निकलने का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। इसीलिए पानी सड़को पर आ जाता है।


मैंग्रोव की सुरक्षा दीवार

मैंग्रोव की अंधाधुंध कटाई न हो इसके लिए मैंग्रोव आच्छादित जमीनों पर मैंग्रोव की सुरक्षा के लिए चारों तरफ से दीवार के बॉर्डर बनाए जाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन इस निर्णय का विरोध हो रहा है। पर्यावरणविद बताते हैं कि दीवार बनाने से मैंग्रोव के विकास नहीं हो पायेगा और पानी को सोखने की क्षमता भी प्रभावित होगी। इसिलए मैंग्रोव को खुला छोड़ दिया जाये।


मेट्रो के कार्य से गटर और नाले बंद

कुलाबा-बांद्रा-सिप्ज(मेट्रो-3), दहिसर ते अंधेरी (मेट्रो-7) सहित मेट्रो-2 के निर्माण से मुख्य रास्ते को बैरीकेट्स लगा कर बंद कर दिया गया। कार्य के निर्माण के दौरान कई स्थानों पर गड्ढे बने हैं। जिससे सड़कों पर पानी जमा होता है और नाले टूट जाते हैं और पानी निकलने का रास्ता बंद हो जाता है।


कई सामाजिक कार्यकर्ताओ और पर्यावरणविदो ने बताया कि 26 जुलाई 2005 की बाढ़ से बीएमसी ने कुछ सीख नहीं ली। 26 जुलाई की बाढ़ जिन कारणों से आई थी उन कारणों पर बीएमसी ने पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया इसके कारण अभी भी वहीं कारण सामने आते हैं और बाढ़ की स्थिति दुबारा बनती है।


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