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खाकी पुलिस वाले का दर्द, 'चालान काटे या कानून व्यवस्था देखे'


खाकी पुलिस वाले का दर्द, 'चालान काटे या कानून व्यवस्था देखे'
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सड़को पर गाड़ी चलाते समय नाकेबंदी में अगर पुलिस आपसे हेलमेट क्यों नहीं लगाया, सीट बेल्ट क्यों नहीं लगाया, लाइसेंस दिखाओ, पीयूसी दिखाओ, इंश्योरेंस पेपर दिखाओ जैसे कई प्रश्नों का सामना आपको करना पड़ता है और इन प्रश्नों से आपको खीझ भी आती होगी। लेकिन अकेले आप ऐसे नहीं हैं जिनको खीझ आती है बल्कि पुलिस वाले को भी यह काम करते समय खीझ आती है और वे अब इस काम का विरोध भी करने लगे हैं। 


विरोध में खाकी पुलिस

ट्रैफिक नियम का लोग पालन करें इसके देखरेख के लिए ट्रैफिक पुलिस की जिम्मेदारी है। लेकिन कई मौके पर यह काम खाकी वर्दी वाले पुलिस भी करते हैं। इस फैसले के विरोध में अब खाकी पुलिस वाले  आ गये हैं। उनका कहना है कि उनकी जिम्मेदारियां वैसे ही काफी बढ़ी हुई हैं और ऊपर से उन्हें ट्रैफिक की जिम्मेदारी देना सही नही है। वे कहते हैं कि उनका काम अपराधियों को पकड़ना है और कानून व्यवस्था बनाए रखना है ना कि ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले के लिए चालान काटना।


पुलिस वाले का दर्द  

नाम न छापने की शर्त पर एक ड्यूटी पर तैनात खाकी वर्दी वाले पुलिस ने बताया कि कितनी बार हमें रसीद की पूरी बुक ही दी जाती है, और जब तक उस बुक की सारी रसीद ख़त्म नही हो जाती तब तक हमें छुट्टी नहीं मिलती है। हमारे ऊपर इतना प्रेसर रहता है कि हमे छोटी सी छोटी बातों को लेकर भी रसीद काटना पड़ता है।कई बार हमें लोगो के गुस्से का भी सामना करना पड़ता है, साथ ही लोगो के जायज कारण को भी हमे नजरंदाज करना पड़ता है क्योंकि हमें टार्गेट रहता है जिसे हमें पूरा करना ही पड़ता है।


पुलिस विभाग की सफाई  

मुंबई पुलिस की पीआरओ और डीसीपी रश्मि करंदीकर का कहना है कि हर पुलिस वाले को ट्रैफिक नियम तोड़ने पर कार्रवाई करने का अधिकार है। खाकी पुलिस और ट्रैफिक पुलिस वाले में कोई अंतर नहीं है।


एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस समय मुंबई में कई स्थानों पर बड़े-बड़े काम चल रहे हैं जिससे लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है। यही नहीं मेट्रो रेल के कारण लगने वाले जाम हो या वेस्टर्न एएक्सप्रेस हाईवे, लिंकिंग रोड हो या फिर एसवी रोड, या फिर बारिश से लगने वाला जाम हो, जब हर जगह जाम लगता है तो खाकी वर्दी पुलिस मोर्चा सँभालते हुए यातायात को नियंत्रित करती है। यही नहीं जब सड़क पर किसी भी प्रकार की कोई दुर्घटना या फिर वाद विवाद होता है तो भी हमें ही बुलाया जाता है। जिससे हमारी जिम्मेदारी तो बढ़ी लेकिन हम पर दबाव भी बढ़ा।


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