ओला उबर चालकों को पिछलें कई महिनों से हो रही समस्या के कारण उन्होने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद सरकार ने एक समिति बनाई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह ओला-उबर टैक्सियों का किराया तय करने वाली एक समिति की रिपोर्ट पर आठ हफ्ते के भीतर फैसला करे।
राज्य सरकार ने 2016 में समिति गठित की थी, जिसने 2017 में अपनी रिपोर्ट जमा की थी। ऐप आधारित टैक्सी बुकिंग सेवा देने वाली कंपनियों का न्यूनतम और अधिकतम किराया तय करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने अक्टूबर 2016 में चार सदस्यीय एक समिति का गठन किया था। इस समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बी.सी.खटुआ को बनाया गया था।
साल 2017 के बाद भी अभी तक सरकार ने रिपोर्ट पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा की सरकार रिपोर्ट पर आठ हफ्ते के अंदर कोई निर्णय ले।
ओला उबर चालकों की मांगें इस प्रकार है
- 'मिनी', 'माइक्रो', 'गो' गाड़ियों में 12 रुपये प्रति कि.मी, बेस फेयर 50 रुपये और प्रतीक्षा के लिए अतिरिक्त दो रुपये मिलने चाहिए।
- 'प्राइम', 'सेडान' 15 रुपये प्रति कि.मी, आधार शुल्क 75 रुपये और 3 रुपये प्रतीक्षा अवधि के लिए मिलने चाहिए।
'एक्सएल', 'एक्सयूवी', 1 9 रुपये प्रति कि.मी, बेस फेयर 100 रुपये और चार रुपये प्रतीक्षा अवधि के लिए मिलने चाहिए। - कंपनी को कमीशन का 15% अधिभार रद्द करना चाहिए।
- शेयर, पुल, माइक्रो में भी दरों की वृद्धि हो।