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'विदेशी कोर्ट का फैसला भारत में लागू नहीं'


'विदेशी कोर्ट का फैसला भारत में लागू नहीं'
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हाई कोर्ट ने एक फैसले में अपना निर्णय सुनाते हुए कहा है कि कोई भी विदेशी अदालत भारतीय नागरिक दंपति के तलाक पर फैसला नहीं दे सकती है। भले ही विवाद के समय दंपति किसी भी देश में रह रहा हो। दरअसल, मुंबई की एक महिला से दुबई में रह रहे उसके पति ने वहां की एक अदालत में तलाक ले लिया था। जिसके बाद महिला ने बॉम्बे हाई कोर्ट में गुहार लगाई। दुबई की एक अदालत से मंजूर तलाक खारिज करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की। बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस एएस ओक और अनुजा प्रभुदेसाई की बेंच ने दुबई अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया।

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पति के फैसले के खिलाफ पत्नी

संबंधित व्यक्ति की पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह निर्देश दिया। दुबई में तलाक याचिका मंजूर किए गए व्यक्ति की पत्नी ने मुंबई की एक पारिवारिक अदालत में अपने और दो बच्चों के गुजारा भत्ता के लिए याचिका दायर की थी, जिसे अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था, कि इस मामले में दुबई की अदालत फैसला सुना चुकी है।


दुबई कोर्ट का फैसला ख़ारिज

महिला द्वारा दायर की गई याचिका पर विचार करने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि दोनों पक्ष (पति और पत्नी) भारतीय नागरिक हैं और पति के इस दावे का कोई पुख्ता दस्तावेज नहीं है कि वह दुबई के निवासी हैं। पीठ ने कहा इन परिस्थितियों के तहत, दुबई की अदालत याचिकाकर्ता (पत्नी) और प्रतिवादी (पति) के बीच तलाक पर फैसला करने के लिए सक्षम नहीं है।

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हिंदू विवाह अधिनियम बना आधार

न्यायालय ने कहा कि इस मामले में दोनों पक्ष भारतीय नागरिक हैं और जन्म से हिंदू हैं। उन्होंने हिंदू वैदिक अधिकारों के अनुसार शादी की है और उनकी शादी और तलाक का मामला हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत आता है। महिला ने अपने और दो बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगते हुए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी।

फैमिली कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसका दुबई में पहले ही तलाक हो चुका है। इसके खिलाफ महिला बॉम्बे हाईकोर्ट में पहुंची थी। हाईकोर्ट ने कहा कि दुबई के कोर्ट के फैसले के आधार पर फैमिली कोर्ट महिला की याचिका खारिज नहीं कर सकता है। अब अदालत ने दोनों पक्ष को पारिवारिक अदालत में उपस्थित होने का आदेश दिया है, जहां 18 सितंबर को मामले की सुनवाई होगी।


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