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तालियों के बीच छलके आंसू !


तालियों के बीच छलके आंसू !
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निर्भया रेप कांड के 4 आरोपियों को मिली मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। निचली अदालत ने मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को मौत की सजा सुनाई थी, जिसे शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। यह एक ऐसी घटना थी, दिसने पूरे देश को झकझोर दिया था। आरोपियों ने मनावता को तार तार करते हुए चलती बस में गैंग रेप को अंजाम दिया था।आइए इस पूरे घटना क्रम पर नजर डालते हैं।

चलती बस में रेप
16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक चलती बस में छह लोगों ने मिलकर पैरा मेडिकल की छात्रा का रेप किया, रेप करने के बाद लड़की और उसके दोस्त के सारे कपड़े निकालकर दोनों को बस से नीचे फेंक दिया। इस रेप में इतनी क्रूरता बरती गई थी कि सारी मानवता तार तार हो गई थी।


आरोपियों की धड़पकड़
18 दिसंबर 2012 को राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को इस मामले में गिरफ्तार किया गया। 21 दिसंबर को मामले में एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे आरोपी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार किया गया।


इंडिया से सिंगापुर तक
लगातर निर्भया का इलाज दिल्ली के एक अस्पताल में चला, पर बिगड़ती हालत की वजह से सिंगापुर रिफर किया गया। पर 29 दिसंबर 2012 को पीड़िता ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।


देश की उबलती जनता
जिस दिन रेप की घटना सामने आई उसी दिन से जनता का गुस्सा प्रशासन के खिलाफ फूटने लगा था, सीएम के घर के सामने लोगों ने प्रदर्शन किया, सड़कों पर उतरे, मार्च किया। निर्भया की मौत के बाद पूरे देश में मातम छा गया। देश के गुस्से को भांपते हुए प्रशासन हरकत में आया।

पुलिस से लेकर अदालत तक
पुलिस ने 3 जनवरी 2013 को पांच बालिग आरोपियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती आदि आरोपों के तहत चार्जशीट दाखिल की थी। 17 जनवरी 2013 को फास्ट ट्रैक अदालत ने पांचों अभियुक्तों पर आरोप तय किए।


जेल में आत्महत्या
11 मार्च 2013 को गैंग रेप के आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ में जेल खुद से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।


तीन साल के लिए बालसुधार गृह
31 अक्टूबर 2013 को जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी माना था और उसे बालसुधार गृह में तीन साल बिताने का फैसला सुनाया।


अदालत और सजाएं
10 सितंबर 2013 को फास्ट ट्रैक अदालत ने चार आरोपियों को दोषी ठहराया और 13 सितंबर को मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को मौत की सजा सुनाई। 13 मार्च 2014 को दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपियो की मौत की सजा को बरकरार रखा।
2014-2016 में दोषियों ने मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।


फांसी और सिर्फ फांसी
इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चारों की मौत की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि इस अपराध ने सदमे की सुनामी ला दी थी और यह बिरले में बिरलतम अपराध की श्रेणी में आता है, जिसमें बहुत ही निर्दयीता और बर्बरता के साथ 23 वर्षीय छात्रा पर हमला किया गया था। इसकी सजा मौत से कम नहीं हो सकती।


छलक उठी इनकी आंखे

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सुनते ही निर्भया के माता-पिता भावुक हो उठे और तालियां बजाने लगे। न्यायालय के बाहर आते ही दोनों ने कहा कि देर है पर अंधेर नहीं। फैसला भले देर से आया लेकिन न्याय मिला। साथ ही उन्होंने सभी का शुक्रिया अदा किया, उन्होंने कहा कि मुश्किल वक्त में हमारी मदद करने वालों के हम आभारी है। जहां इस निर्णय से वे खुश थे वहीं एक आरोपी को नाबालिग होने के चलते छोड़े जाने पर नाराज भी दिखे। निर्भया कि मां ने कहा कि यह दुख कभी खतम नहीं होगा हम जबतक जिंदा हैं, तबतक दुख रहेगा।

निर्णय और ट्वीट 

इस निर्णय की कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर तारीफ भी कि तो किसी ने नाबालिक को मौत की सजा ना देने पर नाराजगी भी जताई है। 

I welcome #SupremeCourt verdict to uphold death sentence to 4 convicts in #Nirbhaya case.This will serve as warning to similar offenders.

— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) May 5, 2017

इस पर पत्रकार रजत शर्मा का कहना है, निर्भया मामले में 4 अपराधियों को मौत की सजा को कायम रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मैं स्वागत करता हूं। यह अपराधियों के लिए चेतावनी होगी। 


Why has the juvenile been spared? Minor for a capital punishment, but mature enough to brutally rape a girl?#Nirbhaya #DelhiGangRape

— Vani Mehrotra (@vani_mehrotra01) May 5, 2017

इस पर वाणी मेहरोत्रा का कहना है, नाबालिग को क्यों छोड़ा गया?  सजा पाने के लिए नाबालिग है, पर बुरी तरह से रेप करने के लिए युवा है? 


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