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सोनू निगम का केस मैं लडूंगा- मोहम्मद अली उर्फ बाबूभाई


सोनू निगम का केस मैं लडूंगा- मोहम्मद अली उर्फ बाबूभाई
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विशेष बातचीत

किसी मकसद को अपने जीने का सबब बनाना अपने आप में अहम बात होती है। बहाव के खिलाफ तैरने का माद्दा होना जरुरी है। बस देर होती है अपने अंदर छुपे इस माद्दे को पहचानने की... 66 साल के बुजुर्ग मोहम्मद अली उर्फ बाबू भाई खान वह शख्स हैं, जिन्होंने एक मकसद के लिए अपनी जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। उनका मकसद है, लोगों को सच्चे इस्लाम से रुबरु कराना... मस्जिद पर अजान के लिए भोपू पर पाबंदी लगायी जाए इस मांग के लिए पिछले चौबीस साल से बाबू भाई लड़ रहे हैं। आज जब पार्श्वगायक सोनू निगम ने यही राग अलापा तब इस विषय पर चर्चा छिड़ गयी और बाबू भाई फिर से चर्चा में आ गए। इस्लाम की सही सीख के लिए जान न्यौछावर करने के लिए तैयार बाबू भाई से ‘मुंबई लाइव’ ने खास बातचीत की।

सवालः बाबूभाई, सबसे पहले आपसे पूछना चाहेंगे कि, आपने एक जंग शुरु की है। आगाज़ तो सबने देखा, अंजाम की क्या उम्मीद है?
जवाबः देखिए, मैं खुदा का नेक बंदा हूं। खुदा मुझसे नेक काम करवा रहा है। वह अपनी रहमत बनाए रखे।

सवालः मस्जिद पर अजान के लिए लगाए भोपू उतर जाएं, ऐसा आपको क्यों लगता है? आपके मजहब के लोगों को इसी बात का ताज्जुब भी है...
जवाबः मैं मजहब का ही काम कर रहा हूं। कोई भी मुझे दिखा दे कि, इस्लाम में यह कहां लिखा हैं कि, अजान के लिए और नमाज अदा करने के लिए भोपू लगाना जरुरी है? इस्लाम को 1400 सालों का इतिहास है। पवित्र कुरान में भी अजान अदा करने का तरीका दिया गया है। अब बस कुछ सामाजिक बदलाव आ गए और मस्जिदों पर भोपू चढ़ गए। इन भोपू की वजह से बाकी धर्मियों को तकलीफ क्यों दी जा रही है, यह मेरे समझ के बाहर है। हमारे कुरान और आयत में भोपू जैसी चीज के लिए कोई जगह नहीं है।

सवालः मतलब आप सोनू निगम का समर्थन करते हैं?
जवाबः बिलकुल... मैं सौ फीसदी सोनू के साथ हूं। उस बच्चे ने गलत को गलत बोलने की हिम्मत दिखायी है। मैं उसकी दाद देता हूं। यह मजहब से ऊपर उठकर सोचने वाली बात है। कोई उसका साथ दे न दे, मैं उसका साथ दूंगा।

सवालः कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती हैं?
जवाबः अगर सोनू को कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी तो उसकी पैरवी मैं करुंगा।

सवालः आप?
जवाबः क्यों नहीं? 2014 से इस मामले में अपने केस की पैरवी मैं खुद ही कर रहा हूं। मस्जिद पर लगें भोपू हटाए जाएं यह मांग करने वाली याचिका डॉ. बेडेकर और संतोष पाचलग के साथ मैंने हाईकोर्ट में दायर की। हमने जज के सामने मराठी में कुरान का तर्जुमा पेश किया। मौलवियों के 64 फतवा, शरियत, आयत से जुड़े जो सबूत हमने पेश किए, वो देखकर जज साहब ने मस्जिद पर लगे भोपू मजहब का बुनियादी हिस्सा न होने की बात मानी। अदालत ने साफ रुप में फैसला सुनाया है कि, रात को दस बजे से लेकर सुबह छः बजे तक भोपू का इस्तमाल नहीं किया जा सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो, उसे 1 लाख रुपए जुर्माना और पांच साल की जेल हो सकती है। सुबह छः बजे के बाद भोपू लगाने के लिए भी इजाज़त लेनी पड़ेगी। इजाज़त मिलनेपर भी आपको डेसिबल का ख्याल रखते हुए भोपू लगाना होगा। 16 अगस्त 2016 की सुनवाई में यह फैसला सुनाया गया था।

सवालः आपको इसके बाद भी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। क्या आप किसी से मदद लेंगे? अगर सोनू आपको मदद करना चाहें तो...?
जवाबः मैं सोनू से कतई मदद नहीं लूंगा। अल्लाह ने मुझपर रेहमत बनाई रख्खी है। अगर मैं सोनू से मदद लेता हूं, तो मेरे सिर से अल्लाह के रेहमत का हाथ उठ जाएगा। मैं इस्लाम की सही सीख उनतक पहुंचाना चाहता हूं, जो इस मजहब की तह तक नहीं जा पाए हैं। मैं सोनू की इस बात से इत्तफाक रखता हूं कि, किसी भी मजहब में बिजली का इस्तेमाल जरुरत से ज्यादा न किया जाए। मैं सभी मजहबों की इज्जत करनेवाला सच्चा मुसलमान हूं।

सवालः जान का खतरा...?
जवाबः बहुत धमकियां मिली हैं अबतक... लेकिन नेकी की राहपर चलते हुए यह बर्दाश्त करना ही होगा। मैं आपको बता देना चाहता हूं कि, अमन पसंद भाई-बहनों ने मेरी बात मानते हुए मस्जिद से भोपू उतार दिए। अबतक बेहरामपाड़ा में 4, ज्ञानेश्वर नगर में 3, भारत नगर और राजीव नगर में 1-1 मस्जिद से भोपू उतार दिए गए हैं। रिश्तेदारों की मदद से मैने यूपी और एमपी में भी कुछ मस्जिदों से भोपू हंसी-खुशी उतरवा दिए हैं।

सही बात लोगों तक पहुंचाने में देर लगती है। लेकिन नियत साफ और हौसला बुलंद हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। उम्रदराज़ हो रहे मोहम्मद अली उर्फ बाबूभाई अपनी अगली पीढियों तक यही बात रखने की कोशिश कर रहे हैं।

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