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कश्मीर फिर से भारत का नंदनवन के रुप में जाना जाएगा– भगत सिंह कोश्यारी

राज्यपाल ने कहा कि 700 से 800 साल पहले कश्मीर को भारत का गौरव माना जाता था। अब कश्मीर को उसके पूर्व गौरव पर वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

कश्मीर फिर से भारत का नंदनवन के रुप में जाना जाएगा– भगत सिंह कोश्यारी
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कश्मीर (kashmir) स्थिरता और शांति की ओर बढ़ रहा है और आम आदमी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग ले रहा है। भारतीय संस्कृति में कश्मीर का योगदान अद्वितीय है और कश्मीर जल्द ही अपना पूर्व गौरव हासिल करेगा और देश के लिए स्वर्ग बन जाएगा। बुधवार को राजभवन में साहित्य, संस्कृति और भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम करने वाली संस्था हिंदी कश्मीर संगम द्वारा आयोजित एक समारोह में बोलते हुए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (bhagat singh koshyari) ने यह बातें कहीं।

इस मौके पर हिंदी कश्मीर संगम- कश्मीर अनुष्ठान के अध्यक्ष के साथ-साथ लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बीना बुदकी की पुस्तक "केसर की क्यारी में आग की लपटें अखिर कब तक" के साथ-साथ पत्रिका "कश्मीर संदेश" का राज्यपाल ने विमोचन भी किया।

राज्यपाल ने कहा कि 700 से 800 साल पहले कश्मीर को भारत का गौरव माना जाता था। अब कश्मीर को उसके पूर्व गौरव पर वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सामान्य नागरिक भी शांति के प्रति सकारात्मक हैं। हाल ही में हुए ग्राम पंचायत चुनावों की प्रतिक्रिया अच्छी थी।

उन्होंने कहा, यह कश्मीर अभिमन्यु गुप्ता, भरतमुनि, कल्हण और कश्मीरी शैव दर्शन की भूमि है और कश्मीर का भारतीय नाटक, कविता और साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है।

राज्यपाल ने कहा कि, आजादी के 70 साल बाद कश्मीर में शांति के प्रयास चल रहे हैं और जल्द ही सफल होंगे। यह गर्व की बात है कि कश्मीर में हिंदी का प्रचार और प्रसार हो रहा है। हालांकि, चूंकि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है, इसलिए संस्कृत को संरक्षित और पोषित करना आवश्यक है।

राज्यपाल ने बीना बुदकी को बधाई दी और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि गौरवशाली भविष्य में भी साहित्य, शिक्षा और जनसेवा के कार्य करते रहेंगे।

मंच पर हिंदी कश्मीरी संगम के सदस्य महेश आचार्य, दिनेश बरोट मौजूद थे।

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