महाराष्ट्र सरकार ने नौ साल बाद साइकिल किराए पर देने पर प्रतिबंध हटा लिया है। इस फैसले से पर्यटकों, स्थानीय लोगों और काम की तलाश कर रहे युवाओं को मदद मिलने की उम्मीद है। परिवहन विभाग ने नीतिगत बदलाव किए हैं। अब ऑपरेटरों को 1,000 रुपये प्रति वर्ष का लाइसेंस लेना होगा। उन्हें कम से कम पांच बाइक किराए पर देनी होंगी। (Maharashtra Govt Resumes Rent-a-Bike Scheme with New Rules After Nine Years)
शहर या जिले की सीमा के भीतर किराए पर देने की अनुमति
केवल शहर या जिले की सीमा के भीतर किराए पर देने की अनुमति होगी। अन्य विवरण अभी भी तय किए जा रहे हैं। किराए पर बाइक देने की योजना 1997 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई थी। इसका इस्तेमाल महाराष्ट्र में किया गया, लेकिन बिना किसी नियंत्रण या स्पष्ट नियमों के। लाइसेंस की मंजूरी जैसी कोई जाँच नहीं थी। 2016 में तत्कालीन परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने इस योजना को रोक दिया था। ऐसा अनियमित किराए को रोकने के लिए किया गया था, खासकर उन पर्यटक क्षेत्रों में जहाँ परिवहन सेवाएँ खराब थीं।
कोंकण में ऑपरेटरों के नेताओं से संबंध
सूत्रों का यह भी कहना है कि इस फैसले में राजनीति शामिल थी। आरोप है कि कोंकण में ऑपरेटरों के नेताओं से संबंध थे। प्रतिबंध के बाद भी कई बाइक किराए पर देने वाले व्यवसाय बिना अनुमति के चलते रहे। नए नियमों का उद्देश्य इसे रोकना है। स्थानीय परिवहन अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव के बजाय लाइसेंस दे रहे थे, जिनके पास वास्तविक शक्ति थी। इन मुद्दों को ठीक करने के लिए प्रतिबंध लगाया गया था।
अब, राज्य व्यवसाय को विनियमित करना चाहता है और युवाओं को आजीविका कमाने में मदद करना चाहता है। परिवहन विभाग ने कहा कि यह योजना कोंकण जैसी जगहों की मदद करेगी। कोंकण में समुद्र तट, किले और अन्य पर्यटन स्थल हैं। लेकिन उन क्षेत्रों में परिवहन सेवाएँ अच्छी नहीं हैं।
सूत्रों के अनुसार, योजना को मंजूरी दे दी गई है। रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि अधिकारी बिना लाइसेंस के बाइक किराए पर देने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
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