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चुनाव आयोग का ढीला रवैया, कर्मचारियों को झेलनी पड़ी परेशानी

मतदान के दिन काम खत्म होने के बाद भी महिला कर्मचारियों को देर रात तक रुकना पड़ा

चुनाव आयोग का ढीला रवैया, कर्मचारियों को झेलनी पड़ी परेशानी
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सोमवार को मुंबई के 6  लोकसभा सीटों के लिए चुनाव खत्म हो गए। इस बार मुंबईकरो ने मतदान के लिए जोरदार जोश दिखाया।   हर बार की तरह इस बार भी बीएमसी कर्मचारी और  सरकारी कर्मचारियों को चुनाव की ड्युटी में लगा दिया गया।  मतदान का समय सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक रखा गया था।  चुनाव से संबंधित सारे कार्य पूरे होने के बाद भी कर्मचारियों को तीन से चार घंटे अतिरिक्त रुकना पड़ा।  वोटिंग मशीन बंद होने के बाद महिला कर्मचारियों के साथ साथ    अन्य कर्मचारियों को भी लंबा इंतजार करना पड़ा। कई महिला कर्मचारियों ने  इसकी शिकायत संगठना से की है।     रात के नौ बजे के बाद भी, मतदान उपकरण एकत्र करने के लिए कोई गाड़ी भी नहीं आई। 

कर्मचारियों का कहना है की इस खराब इंतजाम के कारण चुनाव आयोग की लापरवाही एक बार फिर से सामने आई है। मतदान के एक दिन पहले भी कर्मचारियों को चुनाव से संबंधित कार्यों पर लगा दिया गया था।  मतदान मशीन लेकर मतदान केंद्र तक जाने के लिए भी गाड़ियों को सही समय पर उपलब्ध नहीं कराया जा सका।  जिसके कारण कर्मचारियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। मतदान के दिन भी कई कर्मचारी अपने अपने घरो से सुबह 4 बजे मतदान केंद्र के लिए निकले। बीएमसी के शिक्षा विभाग और अन्य कर्मचारियों का इसमें समावेश था। मतदान के दिन काम खत्म होने के बाद भी कर्मचारियों को रात 9 बजे तक मतदान केंद्र पर रुकना पड़ा जिसके कारण वह घर भी देरी से पहुंचे।  रात में देरी से घर पहुंचने के बाद अलगी सुबह जल्दी स्कूल पहुंचना भी उनके लिए परेशानी का सबब बना।

मुंबई के एक मतदान केंद्र में एक और महिला को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।  देर रात तक महिलाओं को मतदान केंद्रो पर रुकना पड़ा। मातृत्व अवकाश के कारण एक महिला छुट्टी पर होने के बाद भी उसके नाम पर ड्यूटी लगा दी गयी और जब वह छुट्टी बिता कर वापस काम पर आई तो उसे ड्यूटी करने का फरमान सुना दिया गया। वह महिला अपने 6 महिने के बच्चे को घर पर छोड़कर मतदान के कार्य में शामिल हुई लेकिन देर रात होने के बाद भी महिला को चुनाव कार्यों की वजह से घर जाने नहीं दिया गया।  अपने बच्चे की बात बोलने के बाद भी उसे घर जाने नहीं दिय़ा गया जिसके बाद परिसर में मौजूद अन्य कर्मचारियों ने महिला को जाने के लिए कहां जिसके बाद वरिष्ठ चुनाव अधिकारियों के आदेश के बाद महिला को छोड़ दिया गया।

ऐसा पहली बार नहीं है की चुनाव आयोग की लापरवाही की वजह से कर्मचारियों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन नौकरी जाने के डर से कई कर्मचारी इसकी शिकात नहीं कर पाते। चुनाव आयोग को इस पर ध्यान देने की जरुरत है। 

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