मकरसंक्रांति के अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा है। इस परंपरा से इंसान तो पतंग उड़ाने का लुत्फ़ उठाते हैं लेकिन इंसानों की इस लुत्फ़ की कीमत पशु पक्षी अपनी जान देकर चूकाते हैं। पतंगबाजी के दौरान तेज मांझे की चपेट में आने से कई पशु पक्षी जख्मी हो जाते हैं और कइयों की तो जान भी चली जाती है।
इस मकरसंक्रांति के अवसर पर लोगों ने दो दिन पतंग उड़ा कर पतंजबाजी का लुत्फ़ उठाया लेकिन इन दो दिनों में यानी शनिवार और रविवार को 100 से अधिक पशु पक्षियों के जख्मी होने की सूचना है।
परेल स्थित पशुओं के अस्पताल बाई साखराबाई दिनशॉ पेटिट हॉस्पिटल यानी बैलघोड़ा में कई घायल पक्षियों को लाया गया। इनमे सबसे अधिक संख्या कबूतरों की थी जो तेज मांझे से जख्मी हुए थे।
संक्रांति के दिन हमारे पास अनेक प्रकार के जख्मी पक्षियों को लाया गया। अभी भी 100 से अधिक पक्षियों को इलाज चल रहा है। कई प्राणी मित्रो ने जख्मी पक्षियों को अस्पताल तक पहुंचाया।
डॉ. जे.सी खन्ना, सचिव, पशु अस्पताल, परेल
हालांकि डो. खन्ना ने इस बात पर ख़ुशी जताई कि पिछले साल की अपेक्षा इस साल घायल पक्षियों की संख्या में कमी आई है। अस्पताल में घायल अवस्था में दाखिल होने वाले पक्षी इस प्रकार हैं-
पक्षी | संख्या |
कबूतर | 62 |
चील | 7 |
बगुला | 1 |
तोता | 3 |
कुल | 73 |