महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम ने गोराई क्रीक में स्थित गोराई गांव के 149 ग्रामीणों के खिलाफ एक गंभीर शिकायत दर्ज की है, जिसमें उन पर अन्य आरोपों के साथ-साथ लोक सेवकों के काम में बाधा डालने और गैरकानूनी सभा में भाग लेने का आरोप लगाया गया है। मनोरी-गोराई-उत्तन क्षेत्र को पर्यटन विकास क्षेत्र के रूप में नामित किया गया है, जिसका ग्रामीण और पर्यावरणविद् कड़ा विरोध कर रहे हैं। (MTDC lodges complaint against villagers of Gorai for opposing tourism development plan)
बाहरी लोगों को फायदा होने का अंदेशा
गोराई गांव में कोली, एग्री, ईसाई और मुसलमानों की मिश्रित आबादी है, जिनमें से अधिकांश 16 वीं शताब्दी में पुर्तगाली उपस्थिति के कारण ईसाई धर्म और पूर्वी भारतीय संस्कृति का पालन करते हैं। ग्रामीणों का दावा है कि जमीन पीढ़ियों से उनकी है, और वे पर्यटन योजना का विरोध करते हैं क्योंकि इससे उन्हें नहीं बल्कि बाहरी लोगों को फायदा होता है।
गांववालो का कहना है की इस योजना में कुछ लोगों के निहित स्वार्थ हैं, वे आदिवासी संस्कृति और मछली पकड़ने की परंपरा को नष्ट करना चाहते हैं। अलवणीकरण संयंत्र का कार्यान्वयन भी चिंताजनक है। गोराई गांव में तालाब हैं जहां जानवर पानी पीने आते हैं, लेकिन सरकार ने सौंदर्यीकरण के नाम पर इन इलाकों का कंक्रीटीकरण कर दिया है ।
यह भी पढ़े- पश्चिम रेलवे ने मुंबई-गोरखपुर स्पेशल ट्रेन की यात्रा बढ़ाई