झुग्गीवासियों को जल्द ही डेवलपर्स से मिलने वाले किराए की मौजूदा स्थिति, किराया कब वसूला जाएगा या वसूला गया है या नहीं आदि की जानकारी मिल सकेगी। झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण ने इस संबंध में 'रेंट मैनेजमेंट सिस्टम' नाम से एक अलग ऐप लागू किया है। झुग्गीवासी इस ऐप पर मोबाइल नंबर, ईमेल जैसी जानकारी देकर रजिस्टर कर सकते हैं। इससे वे प्राधिकरण को परेशान किए बिना किराए का पूरा विवरण देख सकेंगे।
ऐप को हरी झंडी
आवास विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव वलसा नायर-सिंह ने इस ऐप को हरी झंडी दे दी है। यह ऐप प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेंद्र कल्याणकर की अवधारणा से बनाया गया है। कल्याणकर ने इस फॉर्मूले को स्वीकार करते ही इस संबंध में तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी थी। यह ऐप जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। इससे झुग्गीवासियों को किराए की सही स्थिति का पता चल सकेगा।
झुग्गीवासियों के किराए का मुद्दा संवेदनशील है और बकाया किराए को लेकर हाईकोर्ट ने भी प्राधिकरण को आड़े हाथों लिया था। इसके बाद प्राधिकरण ने सर्कुलर नंबर 210 जारी किया। इस सर्कुलर के अनुसार, झुग्गी पुनर्वास योजना को लागू करने से पहले डेवलपर को झुग्गीवासियों को दो साल का अग्रिम किराया और फिर अगले साल का चेक प्राधिकरण को जमा कराना होता है।
इस सर्कुलर को लागू किए बिना डेवलपर को किसी भी रुकी हुई योजना को फिर से शुरू करने के लिए कोई स्टार्ट लेटर जारी नहीं किया जाता है। यह किराया प्राधिकरण झुग्गीवासियों को देता है। इस सर्कुलर की वजह से बकाया किराए की शिकायतें काफी हद तक कम हो गई हैं। अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए प्राधिकरण ने ऐप पर किराए से जुड़ी कोई भी शिकायत दर्ज करना संभव कर दिया है। इसके अलावा अब हर झुग्गीवासी अपने किराए की मौजूदा स्थिति जान सकेगा।
किराए के तौर पर जमा हुए हजारों करोड़ रुपए
झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण ने अब तक 1000 करोड़ रुपए किराए के तौर पर वसूले हैं। प्राधिकरण ने झुग्गीवासियों को यह किराया वास्तव में देने के लिए सहायक रजिस्ट्रार संध्या बावनकुले को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा, किस योजना में किस डेवलपर ने किराया नहीं दिया है आदि विवरण ऐप पर आसानी से उपलब्ध होंगे।
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