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लॉकडाउन में 1 करोड़ प्रवासी मजदूर शहरों से लौटे अपने गांव, सरकार ने संसद में दी जानकारी

मंगलवार को सरकार की तरफ से लोकसभा (loksabha) में जानकारी देते हुए बताया गया कि, लॉकडाउन (lockdown) के लागू होने के बाद, मार्च 2020 से लेकर जून 2020 तक एक करोड़ से भी अधिक प्रवासी मजदूरों का पलायन हुआ।

लॉकडाउन में 1 करोड़ प्रवासी मजदूर शहरों से लौटे अपने गांव, सरकार ने संसद में दी जानकारी
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अभी हाल ही में जब सरकार से पूछा गया था कि, इस लॉकडाउन (lockdown) में देश के विभिन्न हिस्सों से कितने प्रवासी मजदूर (migrant workers) अपने गांव गए थे? लेकिन सरकार की तरफ से कहा गया कि उनके पास इस बाबत कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन अब सरकार की तरफ से इसका जवाब दिया गया है।

मंगलवार को सरकार की तरफ से लोकसभा (loksabha) में जानकारी देते हुए बताया गया कि, लॉकडाउन (lockdown) के लागू होने के बाद, मार्च 2020 से लेकर जून 2020 तक एक करोड़ से भी अधिक प्रवासी मजदूरों का पलायन हुआ। इस पलायन में कई लोग घायल हो गए तो कुछ ने अपनी जान भी गंवाई।

सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री वी.के. सिंह (VK singh) ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि, कोविड-19 (Covid-19) जैसी महामारी (pandemic) के दौरान बड़ी संख्या में मजदूर अपने गांव चले गए। श्रम मंत्रालय के अनुसार, लगभग 1.06 करोड़ श्रमिक पलायन कर गए। इसमें वे मजदूर भी शामिल हैं जो पैदल यात्रा करके गए हैं।

सिंह ने आगे बताया कि, मार्च से लेकर जून महीने तक 81 हजार 385 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। जिसमें घायलों की संख्या 29 हजार 415 है। हालांकि, मंत्रालय ने प्रवास के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए श्रमिकों की संख्या पर अलग-अलग आंकड़े नहीं रखे हैं।

आपको बता दें कि देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के एंट्री के बाद मोदी सरकार ने 25 मार्च को पहले लॉकडाउन की घोषणा की थी। इस लॉकडाउन में स्कूल, कॉलेज, कंपनी, कारखाने, ऑफिस, सहित तमाम सार्वजनिक परिवहन भी बंद मर दिए गये। जिसके बाद सरकार की तरफ से 17 अप्रैल को दूसरे लॉकडाउन की घोषणा की गई। लॉकडाउन के शुरुआती चरणों में, प्रवासी श्रमिकों को बहुत नुकसान हुआ।

दूसरे लॉकडाउन की घोषणा होने और कोरोना के बढ़ते लगातार प्रभाव को देखते हुए दूसरे राज्यों से आए प्रवासी अपने गांव जाने लगे। ट्रेने बंद होने और एक राज्य से दूसरे राज्य में भी आने जाने के तमाम साधन बंद होने के कारण लोग ट्रक, टेम्पो सहित पैदल ही घर से निकल पड़े। इनमें सबसे अधिक प्रवासी मजदूरों की संख्या थी। लेकिन इस पलायन के दौरान कई मजदूर सड़क हादसे में घायल हुए तो कइयों की मौत भी हुई। आजादी के बाद इसे अब तक का यह सबसे बड़ा पलायन बताया जाता है।

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